मकर संक्रांति 2019: इस बार 14 नहीं, 15 जनवरी को मनेगा सूर्य पर्व, जानें कब करें व्रत
By गुलनीत कौर | Published: January 8, 2019 04:20 PM2019-01-08T16:20:59+5:302019-01-08T16:20:59+5:30
सूर्य के एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में जानें को संक्रांति कहा जाता है और मकर राशि में जाने पर इसदिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
हिन्दू धर्म का महत्वपूर्ण पर्व मकर संक्रांति इस बार 14 नहीं, बल्कि 15 जनवरी (दिन मंगलवार) को देशभर में मनाया जाएगा। 14 जनवरी की रात 8 बजकर 6 मिनट पर भगवान भास्कर यानी सूर्य का राशि परिवर्तन होगा। इसदिन वे धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में जानें को संक्रांति कहा जाता है और मकर राशि में जाने पर इसदिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है।
अब चूंकि सूर्य का राशि परिवर्तन 14 जनवरी की रात को हो रहा है, इसलिए मकर संक्रांति का पर्व अगले दिन यानी 15 जनवरी को सूर्य उदय से ही माना जाएगा। इस सुबह से ही पवित्र नदियों में स्नान शुरू होगा। इसके अलावा 15 जनवरी को ही पूजा-पाठ और दान-पुण्य जैसे कार्य किए जाएंगे। जो लोग व्रत करना चाहते हैं, वे भी 15 जनवरी को सूर्य उदय होने के बाद ही व्रत का संकल्प लेंगे।
क्यों मनाते हैं मकर संक्रांति?
उपरोक्त जानकारी के माध्यम से आपने मकर संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व समझा। किन्तु इस पर्व का धार्मिक पहलू भी है। इस पर्व को देशभर में मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा छिपी हुई है जिसके मुताबिक एक बार भगवान विष्णु और असुरों के बीच धरती लोक पर भीषण युद्ध हुआ था। युद्ध में भगवान विष्णु की जीत हुई और उन्होंने अंत में सभी दैत्यों के सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था।
जिस जगह पर भगवान विष्णु ने असुरों के सिर गाड़े थे वो आज भारत के हिमाचल प्रदेश में स्थित है। यहां की पहाड़ी पर एक मंदिर है जहां हर साल संक्रांति पर खास मेले का आयोजन किया जाता है और दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। क्योंकि संक्रांति के दिन ही विष्णु जी ने सभी दैत्यों का संहार कर जीत प्राप्त की थी।
मकर संक्रांति पर क्या करते हैं?
मकर संक्रांति पर धर्म और ज्योतिष के अलावा, परम्पराओं की भी महत्ता है। देश के कई हिस्सों में इसदिन गुड़ और तिल से पकवान तैयार किए जाते हैं। इन पकवानों को खाने से पहले सूर्य देव को इसका भोग लगता है। कुछ क्षेत्रों में तो सूर्य पुत्र शनि देव को भी तिल-गुड़ के लड्डुओं का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
मकर संक्रांति पर स्नान का भी महत्व है। इस दिन सूर्य उपासना की जाती है और गंगा, यमुना जैसे पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाई जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि, जो मनुष्य मकर संक्रांति पर देह का त्याग करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और वह जीवन-मरण के चक्कर से मुक्त हो जाता है।
यह भी पढ़ें: ज़िंदा रहते हुए भी खुद का श्राद्ध करते हैं नागा साधु, भीक्षा मांगकर बिताते हैं जीवन
मकर संक्रांति पर उड़ाते हैं पतंग
मकर संक्रांति के पावन पर्व पर देश के कई हिस्सों में पतंग उडाई जाती है। इसे परंपरा का हिस्सा ही माना जाता है। बच्चों से लेकर बड़े तक पतंगबाजी करते हैं। पतंग बाजी के दौरान पूरा आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से गुलजार हो जाता है।