महाकुंभ या कुंभ मेला हर 12 वर्षों में चार स्थानों - प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, नासिक पर आयोजित किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार देवताओं और राक्षसों का युद्ध 12 दिनों तक चला था। स्वर्ग का एक दिन पृथ्वी के एक वर्ष के समान होता है। इसलिए महाकुंभ 12 वर्षों में चार बार किया जाता है।आदि शंकराचार्य द्वारा पहली इस महा उत्सव की शुरुआत की गई थी। उन्होंने ही चार मुख्य तीर्थों को कुंभ मेले के चार पीठ के रूप में स्थापित कराया था। कुंभ मेले के दौरान देश दुनिया से दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं। सभी का एक ही मकसद होता है पवित्र स्नान में डुबकी लगाना। मान्यता है कि कुंभ मेले के दौरान पवित्र स्नान करने से पिछले और इस जन्म के सभी पाप धुल जाते हैं। Read More
कुंभ मेले में करीब 15 करोड़ लोगों के आने की संभावना है। दुनिया का यह सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन पूरी दुनिया में अपनी आध्यात्मिकता और विलक्षणता के लिए प्रसिद्ध है। ...
महिला नागा साधु बनने के लिए उन्हें 10-15 साल तक चलने वाली परीक्षा देनी होती है। इस दौरान उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। इन महिला साधुओं को परीक्षा के दौरान अपने गुरु को पूर्ण विश्वास दिलाना होता है कि वह नागा साधु बनने के लायक हैं। ...
मकर संक्रांति पर विभिन्न अखाड़ों के नागा साधुओं के शाही स्नान के साथ कुम्भ मेला मंगलवार से प्रारंभ हो गया। तीन केंद्रीय मंत्रियों- स्मृति ईरानी, उमा भारती और निरंजन ज्योति ने आज गंगा, यमुना और पौराणिक नदी सरस्वती के संगम में स्नान किया। ...
नागा साधु आम लोगों की तरह रुद्राक्ष के एक, दो दाने या फिर इसकी केवल एक माला नहीं पहनते हैं। कुंभ मेले में आपको रुद्राक्ष की ढेर सारी मालाओं से अपने तन को ढकने वाले नागा साधु दिख जाएंगे। ...
गंगा घाटों पर स्नान करने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। वहीं प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के संगम पर स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। ...
नागा और अघोरी दो अलग प्रकार के साधु हैं। इनकी वेशभूषा से लेकर इनके तप करने के तरीके, इनका रहन-सहन, इनकी साधना और इनकी साधु बनने की प्रक्रिया में भी बड़ा अंतर देखा जा सकता है। ...