महिला नागा साधुओं की रहस्यमयी दुनिया, जिसके बारे में नहीं जानते होंगे आप
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: January 16, 2019 02:33 PM2019-01-16T14:33:11+5:302019-01-16T14:39:33+5:30
महिला नागा साधु बनने के लिए उन्हें 10-15 साल तक चलने वाली परीक्षा देनी होती है। इस दौरान उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। इन महिला साधुओं को परीक्षा के दौरान अपने गुरु को पूर्ण विश्वास दिलाना होता है कि वह नागा साधु बनने के लायक हैं।
नागा साधु अपने भिन्न तरीके के रहन-सहन के लिए जाने जाते हैं। सिंहस्थ, महाकुंभ या फिर अर्धकुंभ के अलावा इनके दर्शन बेहद दुर्लभ होते हैं। क्या आप जानते हैं कि नागा साधुओं में पुरुषों के अलावा महिलाएं भी होती हैं। इनका जीवन बेहद अलग होता है। पुरुष नागा साधुओं की तरह इन्हें भी अपने परिवार को पूरी तरह से त्यागकर कठिन परीक्षा देनी पड़ती है।
ये परीक्षा 10-15 साल चलती है। इस दौरान उन्हें ब्रह्मचर्य का पालन करना पड़ता है। इन महिला साधुओं को परीक्षा के दौरान अपने गुरु को पूर्ण विश्वास दिलाना होता है कि वह नागा साधु बनने के लायक हैं।
इस दौरान उनके घर-परिवार और पिछले जन्म के बारे में पड़ताल की जाती है। इन्हें जीवित रहते हुए खुद का पिंडदान करना पड़ता है, साथ ही अपना मुंडन भी करवाना पड़ता है। इस प्रक्रिया के बाद महिला को नदी में स्नान के लिए भेजा जाता है और वो पूरा दिन भगवान का जाप करती हैं।
सुबह ब्रह्ममुहुर्त में शिव का जाप होता है, तो शाम को दत्तात्रेय भगवान की पूजा। सिंहस्थ और कुम्भ में नागा साधुओं के साथ ही महिला संन्यासिन भी शाही स्नान करती हैं। अखाड़े में महिला संन्यासन को पूरा मान-सम्मान दिया जाता है। हालांकि उन्हें पुरुष नागाओं के साथ ही रहना पड़ता है। इस दौरान गुरु उनको दीक्षा देता है।
पुरुष नागा बगैर कपड़ों के रहते हैं। हालांकि महिलाओं को पीले रंग का वस्त्र पहनने की अनुमति होती है। परीक्षा को पास करने वाली संन्यासन को माता की उपाधि दी जाती है। महिला नागा साधुओं को पुरुषों की तरह नग्न रहकर स्नान की अनुमति नहीं होती।