आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा या व्यास पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन गुरु का पूजन किया जाता है। समूचे भारतवर्ष में गुरु पूर्णिमा बड़ी श्रद्वा भक्ति से मनाई जाती है। सभी शिष्य अपने-अपने गुरु का पूजन करते हैं। चारों वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अर्थवेद के प्रथम प्रख्याता व पराशर ऋषि के पुत्र कृष्ण द्वैपायन का पूजन विशेष रूप से किया जाता है। वेदों का ज्ञान हमें व्यासजी से प्राप्त हुआ है, इसलिए वही आदिगुरु है। व्यासजी की स्मृति बनाए रखने के लिए हमें अपने अपने गुरु को व्यास जी का अंश मानकर श्रद्वा भक्ति से उनका पूजन करना चाहिए। Read More
Guru Nanak Jayanti 2025: अंधविश्वास और गलत मान्यताओं को दूर करने का भी प्रयत्न किया. वह इन सब का विरोध करते वक्त उनकी व्यर्थता को प्रत्यक्ष प्रमाणित करके लोगों को दिखाते थे जिससे लोगों में जागरूकता आ जाती थी. ...
आज शिक्षा केंद्र से बाहर की दुनिया गुरु-शिष्य की भावनाओं और प्रेरणाओं को प्रदूषित कर रही है. अध्यापक परीक्षा-गुरु हो रहा है, वित्त की इच्छा प्रबल होती जा रही है और नैतिक मूल्य अप्रासंगिक. गुरु को भी समाज में अब पहले जैसा आदर नहीं मिलता. शिक्षा की गु ...
गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेदव्यास के जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। उन्होंने चारों वेदों का संपादन किया था, इसलिए उन्हें 'व्यास भगवान' कहा गया। इसी कारण इस दिन को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है ...
Guru Purnima 2025: भारतीय संस्कृति में गुरु को हमेशा अत्यंत सम्मान दिया गया है. प्राचीन काल में गुरु का होना मात्र गर्व की बात ही नहीं थी, बल्कि यह अनिवार्य था. गुरु न होना दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता था. ...