अयोध्या एक राजनीतिक, ऐतिहासिक, सामाजिक-धार्मिक डीबेट का विषय है। दशकों ने इस विवाद ने भारत ने ना जाने कितनी अशांति फैलाई है। अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 से पहले 2.77 एकड़ के भूखंड के 0.313 एकड़ हिस्से में यह विवादित ढांचा मौजूद था जिसे कारसेवकों ने गिरा दिया था। 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ भूमि को तीन पक्षकारों-सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर-बराबर बांटने का फैसला सुनाया था। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपील पर सुनवाई के दौरान मध्यस्थता के माध्यम से विवाद सुलझाने की संभावना तलाशने का सुझाव दिया है। Read More
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि उच्चतम न्यायालय अयोध्या मामले में इससे पहले अपना फैसला सुना सकता है। ...
दिसंबर 1992 में मस्जिद का ढांचा ढहाये जाने के बाद मुंबई सहित देश के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। इसी को मद्देनजर रखते हुए एनसीपी प्रमुख ने चिंता जाहिर की है। ...
रविशंकर ने रतलाम जिले के सैलाना में एक कार्यक्रम में शामिल होने के दौरान सोमवार को संवाददाताओं से कहा, "मेरी उम्मीद है कि (अयोध्या मामले में) जो भी फैसला आयेगा, वह बहुत तृप्तिकर रहेगा और इससे सबको संतुष्टि होगी।" ...
एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को पूर्व केंद्रीय गृह सचिव माधव गोडबोले के इस कथित दावे को सही बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने ही बाबरी मस्जिद के ताले खुलवाये थे और कहा कि यह ‘ऐतिहासिक तथ्य’ है। उन्होंने यहां संवाददाताओं से ...