अयोध्या फैसले से पहले RSS-BJP ने मुस्लिम समुदाय को भरोसे में लेने के प्रयास किये शुरू

By भाषा | Published: November 6, 2019 06:58 AM2019-11-06T06:58:06+5:302019-11-06T06:58:06+5:30

बैठक में कहा गया कि अदालत के फैसले को लेकर न तो ‘जुनूनी जश्न’ होना चाहिए और न ही ‘हार का हंगामा।’

Before Ayodhya verdict, RSS-BJP started efforts to take Muslim community into confidence | अयोध्या फैसले से पहले RSS-BJP ने मुस्लिम समुदाय को भरोसे में लेने के प्रयास किये शुरू

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

Highlightsअयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले मुस्लिम समुदाय तक पहुंच बनाने के लिए आरएसएस और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मुस्लिम समुदाय के मौलवियों और बुद्धिजीवियों के साथ यहां मंगलवार को एक बैठक आयोजित की। बैठक में भाग लेने वालों ने सामाजिक समरसता और एकता बनाए रखने पर जोर दिया। बैठक में कहा गया कि अदालत के फैसले को लेकर न तो ‘जुनूनी जश्न’ होना चाहिए और न ही ‘हार का हंगामा।’

अयोध्या मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले से पहले मुस्लिम समुदाय तक पहुंच बनाने के लिए आरएसएस और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मुस्लिम समुदाय के मौलवियों और बुद्धिजीवियों के साथ यहां मंगलवार को एक बैठक आयोजित की। बैठक में भाग लेने वालों ने सामाजिक समरसता और एकता बनाए रखने पर जोर दिया। बैठक में कहा गया कि अदालत के फैसले को लेकर न तो ‘जुनूनी जश्न’ होना चाहिए और न ही ‘हार का हंगामा।’

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के घर पर हुई इस बैठक में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के नेता कृष्ण गोपाल और रामलाल, पूर्व केंद्रीय मंत्री शाहनवाज हुसैन, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महासचिव महमूद मदनी, शिया धर्मगुरु कल्बे जवाद, फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली और बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के प्रमुख सदस्य शामिल हुए।

बैठक में मौजूद लोगों ने सामाजिक-सांप्रदायिक सौहार्द की रक्षा करने और उसे मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने कहा कि सभी दशाओं में देश में भाईचारे और एकता को बनाए रखा जाएगा। बैठक में शामिल होने वालों ने उन तत्वों से सावधान रहने के लिए आगाह किया जो अपने निहित स्वार्थों के लिए समाज के सौहार्द और एकता को नुकसान पहुंचाने की साजिश कर सकते हैं।

बैठक के बाद नकवी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘आज एक ऐतिहासिक वार्ता हुई जिसमें मुस्लिम बुद्धिजीवियों और मौलवियों ने भाग लिया। बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि देश में सभी परिस्थितियों में एकता और भाईचारे की भावना को मजबूत करने के लिए सभी संभव प्रयास किये जाने चाहिए।’’

उन्होंने कहा, ‘‘कहीं पर भी जीत का जुनूनी जश्न और हार का हाहाकारी हंगामा नहीं होना चाहिए, उससे बचना चाहिए।’’ हुसैन ने कहा कि बैठक में सर्वसम्मति से सहमति बनी कि अयोध्या पर उच्चतम न्यायालय का फैसला सभी को स्वीकार्य होगा। उन्होंने कहा, ‘‘यह देश को मजबूत करेगा। आज की बैठक से एकता का संदेश गया है।

यह वार्ता (आरएसएस नेताओं और मुस्लिमों के बीच) जो शुरू हुई वह नहीं रूकेगी और भविष्य में भी संघ प्रतिनिधियों और मुस्लिम समुदाय के बीच वार्ता जारी रहेगी।’’ इस बैठक को आरएसएस और भाजपा के मुस्लिम समुदाय तक पहुंच बनाने और शांति एवं सद्भाव का संदेश दिये जाने के प्रयासों के तहत देखा जा रहा है। सूत्रों के अनुसार आरएसएस नेता गोपाल ने बैठक में मौजूद लोगों से पूछा कि क्या यह जरूरी है कि मुसलमान, मुसलमानों का नेतृत्व करें और हिंदू, हिंदुओं का नेतृत्व करें।

उन्होंने पूछा, ‘‘एक हिंदू, एक मुस्लिम का नेतृत्व क्यों नहीं कर सकता और एक मुस्लिम, एक हिंदू का नेतृत्व क्यों नहीं कर सकता? रामलाल के हवाले से कहा गया है कि विभिन्न धर्मों के बावजूद ‘‘राष्ट्र पहले’’ की सोच होनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘एक व्यक्ति के बयान को पूरे संगठन के बयान के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।’’ बैठक के बाद जावेद ने पत्रकारों से कहा कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि फैसले का सभी द्वारा सम्मान करने की अपील की जानी चाहिए।

फिल्म निर्माता मुजफ्फर अली ने कहा, ‘‘आज देश की अर्थव्यवस्था की स्थिति इतनी खराब है कि अगर चीजें गलत होती हैं और लोग किसी भी तरह की सांप्रदायिक अशांति में पड़ते हैं, तो अर्थव्यवस्था बहुत बुरी तरह से तहस नहस हो जाएगी।’’ अली ने नकवी की पहल की सराहना करते हुए कहा, ‘‘यह एक अच्छी पहल है, वार्ता बहुत महत्वपूर्ण है।’’

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति तारिक मंसूर भी बैठक में शामिल हुए थे। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि लोगों को भड़काऊ बयान नहीं देना चाहिए और उन्होंने सोशल मीडिया पर सावधान रहने की अपील की। बैठक में मौजूद अन्य लोगों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य कमल फारुकी, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी,हज समिति के पूर्व अध्यक्ष क़ैसर शमीम, जेएनयू के प्रोफेसर अब्दुल नफी और अखिल भारतीय सूफी सज्जादा नशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती शामिल हैं।

Web Title: Before Ayodhya verdict, RSS-BJP started efforts to take Muslim community into confidence

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