अजित पवार का जन्म 22 जुलाई, 1959 को महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में हुआ। अजित पवार एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के बड़े भाई अनंतराव पवार के बेटे हैं। उनके पिता वी शांताराम के राजकमल स्टूडियो में काम करते थे। अजीत पवार अपने चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए राजनीति में आए। राजनीति में वह एक राजनेता से आगे बढ़ते हुए महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री बने। वह अपने चाहने वालों और जनता के बीच दादा (बड़े भाई) के रूप में लोकप्रिय हैं। Read More
शिवसेना के राज्यसभा सांसद और पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादक संजय राउत ने ट्वीट कर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और उनकी सरकार पर तंज कसा है। ...
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने जब यह देख लिया कि शिवसेना अब उसके साथ नहीं रहेगी, तो उसने तत्काल एक दीर्घकालिक योजना बनाई. इसके तहत उसने राज्य में अकेली हिंदूवादी या राष्ट्रीयता की प्रतीक वाली पार्टी बनकर सामने आने का लक्ष्य बनाया. ...
सुबह सबसे पहले उन्होंने उद्धव ठाकरे को फोन किया और धीरज बंधाया, ''घबराएं नहीं, मैं आपके साथ हूं. आप अपने विधायकों को संभालें.'' उसके बाद उन्होंने कुछ वरिष्ठ कानूनविदों से सलाह की. ...
शिवसेना अपने साथ नहीं आएगी यह ध्यान में आने के बाद भाजप ने प्लान बी और प्लान सी तैयार किया. आज जो जनता को दिखाई दिया वह प्लान बी नही प्लान सी था. प्लान बी से पहले ही प्लान सी की तैयारी कर ली गई थी. मोदी-शाह और फडणवीस द्वारा महाराष्ट्र की जमीन पर उतार ...
राकांपा नेता अजित पवार का रातोंरात बगावत कर भाजपा से हाथ मिलाने का निर्णय उनके चाचा शरद पवार की 41 वर्ष पहले की कहानी को याद दिलाता है, जब वह कांग्रेस के दो धड़ों द्वारा बनाई गई सरकार गिराकर राज्य के सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे। ...
महाराष्ट्र में शनिवार सुबह पांच बजकर 47 मिनट पर राष्ट्रपति शासन हटाए जाने के बाद भाजपा-राकांपा सरकार ने कार्यभार संभाला। राज्य में 12 नवंबर को राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था। देवेंद्र फड़नवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। वहीं, अजित पवार ने उपमुख्यमं ...
राजेंद्र सिंगणे (बुलढाणा), संदीप क्षीरसागर (बीड), सुनील शेल्के (मवाल), सील भुसारा (विक्रमगाड), नरहरि जिरवाल (डिंडोरी) और सुनील टिंगरे (वडगांव शेरी) - ने सुबह शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के बाद वापस पार्टी में लौट आये। ...
राष्ट्रपति शासन के हटाये जाने की नैतिकता पर सवाल उठाते हुए गहलोत ने कहा, “महाराष्ट्र के राज्यपाल को नैतिकता के आधार पर निश्चित तौर पर त्यागपत्र देना चाहिए। उन्हें अपने पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।” ...