स्पेशल रिपोर्ट: सत्ता से भी बड़े लक्ष्य के लिए भाजपा ने फिर बनाई महाराष्ट्र में सरकार, जानें अपने मंसूबे में कितनी सफल

By संतोष ठाकुर | Published: November 24, 2019 08:11 AM2019-11-24T08:11:27+5:302019-11-24T08:13:20+5:30

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने जब यह देख लिया कि शिवसेना अब उसके साथ नहीं रहेगी, तो उसने तत्काल एक दीर्घकालिक योजना बनाई. इसके तहत उसने राज्य में अकेली हिंदूवादी या राष्ट्रीयता की प्रतीक वाली पार्टी बनकर सामने आने का लक्ष्य बनाया.

Lokmat News Special: BJP forms government in Maharashtra again for bigger goal than power | स्पेशल रिपोर्ट: सत्ता से भी बड़े लक्ष्य के लिए भाजपा ने फिर बनाई महाराष्ट्र में सरकार, जानें अपने मंसूबे में कितनी सफल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह। (फाइल फोटो)

Highlightsभाजपा भले ही फिर महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज हो गई हो, लेकिन उसका लक्ष्य केवल राज्य में मुख्यमंत्री पद साधना ही नहीं है.राज्य के इस सबसे बड़े राजनीतिक ड्रामे के पीछे भाजपा की दीर्घकालिक योजना है, जिसमें वह सफल होती दिख रही है.

संतोष ठाकुर

भाजपा भले ही फिर महाराष्ट्र की सत्ता पर काबिज हो गई हो, लेकिन उसका लक्ष्य केवल राज्य में मुख्यमंत्री पद साधना ही नहीं है. राज्य के इस सबसे बड़े राजनीतिक ड्रामे के पीछे भाजपा की दीर्घकालिक योजना है, जिसमें वह सफल होती दिख रही है. इसके तहत जहां उसने राज्य में स्वयं को एकमात्र हिंदूवादी पार्टी के रूप में स्थापित कर लिया, वहीं विपक्ष के अंदर सेंधमारी कर उन्हें कमजोर कर दिया है. खासकर राकांपा की ताकत कम करने में उसे सफलता मिली है. 

 

सूत्रों के मुताबिक, भाजपा ने जब यह देख लिया कि शिवसेना अब उसके साथ नहीं रहेगी, तो उसने तत्काल एक दीर्घकालिक योजना बनाई. इसके तहत उसने राज्य में अकेली हिंदूवादी या राष्ट्रीयता की प्रतीक वाली पार्टी बनकर सामने आने का लक्ष्य बनाया. इसके लिए उसने लगातार शिवसेना को यह अवसर दिया कि वह कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाने के लिए आगे आए. हालांकि, उसने शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस की सरकार बनने से रोकने का फैसला पहले ही कर लिया था, लेकिन वह उद्धव ठाकरे के नाम की घोषणा बतौर मुख्यमंत्री होते देखना चाहती थी. इसका कारण यह था कि समय आने पर वह जनता को यह बता पाए कि हिंदूवादी होने का दम भरने वाली शिवसेना उनके साथ ही चली गई जिनका वह तुष्टीकरण, भ्रष्टाचार के लिए विरोध करती रही थी. 

राउत ने जब यह ट्वीट उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद के लिए तैयार होने के संजय राउत के ट्वीट के बाद लंबे समय से संख्या बल की कवायद में जुटी भाजपा ने अजित पवार के साथ सरकार बनाने की ऐलान कर दिया. असल में अजित पवार को शपथ दिलाकर भाजपा ने राज्य में संयुक्त विपक्ष में भी टूट तय कर दी है. राज्य में अगर वह शिवसेना के साथ चुनाव नहीं लड़ती, तो उसका सामना शिवसेना और राकांपा से होता. इसमें भी राकांपा से उसे अधिक चिंता थी क्योंकि राज्य में खास क्षेत्रों में उसका दबदबा शुरू से रहा है. भाजपा ने अजित पवार को राकांपा से अलग करके शरद पवार और राकांपा के गढ़ में भी सेंध लगाने का प्रयास किया है. 

भाजपा का मानना है कि जब शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता है कि इस गठबंधन के कार्यकर्ता संयुक्त उम्मीदवार को वोट देंगे. भाजपा का आकलन है कि संयुक्त उम्मीदवार होने पर शिवसेना के अधिकतर कार्यकर्ता भाजपा को वोट देंगे. वहीं, कांग्रेस-राकांपा के शत-प्रतिशत कार्यकर्ता भी शिवसेना को वोट नहीं देंगे, जिसका लाभ भाजपा को ही होगा. 

तो हम जाएंगे चुनाव में : 
क्या देवेंद्र फडणवीस सरकार विश्वास मत हासिल कर लेगी और पांच साल तक चलेेगी, इसके जवाब में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यह तो केवल झांकी है. उन्होंने कहा, ''राकांपा ही नहीं, शिवसेना के भी कई विधायक हमारे संपर्क में हैं. कांग्रेस की भी यही स्थिति है. हालांकि, हम दूसरे विकल्प पर भी चर्चा कर सकते हैं.'' उन्होंने कहा, ''अगर फडणवीस सरकार विश्वासमत नहीं हासिल कर पाती है, तो उसका लाभ भाजपा को ही होगा. हम चुनाव में जाएंगे और जनता को बताएंगे कि किस तरह से सत्ता के लालच में शिवसेना ने महाराष्ट्र की जनता का विश्वास तोड़ा है.''

भाजपा की सलाह, बाला साहब ठाकरे की दें मिसाल भाजपा ने अपने नेताओं को शिवसेना को विश्वासघाती बताकर उद्धव ठाकरे पर सवाल उठाने के साथ बाला साहब ठाकरे की मिसाल देने की भी सलाह दी है. पार्टी ने उन्हें जनता को यह बताने के लिए कहा है कि बाला साहब ठाकरे की शिवसेना नहीं है जो हिंदू हितों की रक्षा के लिए संघर्ष करती थी. अब यह सत्ता की लालची पार्टी हो गई है. इसी वजह से शिवसेना उन लोगों के साथ चली गई है, जिनके खिलाफ बाला साहब जीवनभर संघर्ष करते रहे.

 

Web Title: Lokmat News Special: BJP forms government in Maharashtra again for bigger goal than power

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