सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को दी राहत, AGR बकाया चुकाने के लिए मिला 10 साल का समय

By विनीत कुमार | Published: September 1, 2020 12:53 PM2020-09-01T12:53:04+5:302020-09-01T13:04:36+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) बकाया चुकाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को 10 साल देने का फैसला सुनाया है। साथ ही कोर्ट ने कुछ शर्तें भी जोड़ी हैं जिसका पालन इन कंपनियों के लिए करना अनिवार्य होगा।

Supreme Court Gives telecom companies 10 Years To Pay Dues their AGR | सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों को दी राहत, AGR बकाया चुकाने के लिए मिला 10 साल का समय

AGR बकाया जमा कराने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को मिले 10 साल (फाइल फोटो)

Highlightsएडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू बकाया चुकाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को मिला 10 साल का समयटाइमलाइन की शुरुआत एक अप्रैल 2021 से होगी, 2031 तक देना होगा पूरा बकाया, किश्त में राशि जमा करने की शर्त

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टेलीकॉम कंपनियों को समायोजित सकल आय (AGR) से संबंधित बकाया चुकाने के लिए 10 साल का समय देने का फैसला किया। इसे टेलीकॉम कंपनियों के लिए बड़ी राहत के तौर पर देखा जा रहा है।

जस्टिस अरुण मिश्रा, एस अब्दुल नजीर और एमआर शाह की बेंच ने इस मसले पर फैसला देते हुए ये निर्देश भी दिए कि कंपनियां बकाया राशि का 10 प्रतिशत 31 मार्च, 2021 तक जमा करा दें। केंद्र सरकार ने 20 सालों की पेमेंट टाइमलाइन का सुझाव दिया था।

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि कंपनियों के बकाया एजीआर के लिए 10 साल में पेमेंट की टाइमलाइन की शुरुआत एक अप्रैल 2021 से होगी और किश्तों में इसका भुगतान 31 मार्च 2031 तक किया जाएगा। कंपनियों को हर साल 7 फरवरी तक अपना बकाया जमा करा देना होगा। वे अगर ऐसा नहीं कर पाती हैं तो इसे कोर्ट की अवमानना माना जाएगा।


सुप्रीम कोर्ट ने टेलीकॉम कंपनियों के प्रबंध निदेशकों को निर्देश दिया है कि वे चार सप्ताह के भीतर व्यक्तिगत गारंटी दें। सुनवाई के दौरान, टाटा टेलीकॉम ने अदालत को बताया कि देय राशि के भुगतान के लिए कम से कम 7-10 वर्षों की जरूरत होगी।

वहीं, वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल ने 15 वर्षों के दौरान भुगतान का सुझाव दिया था। दूरसंचार विभाग (DoT), हालांकि केंद्र के 20 साल के भीतर भुगतान के प्रस्ताव के साथ था। 

गौरतलब है कि कुल एजीआर बकाया 1.69 लाख करोड़ रुपये का है। अभी तक 15 टेलीकॉम कंपनियों ने सिर्फ 30,254 करोड़ रुपये ही चुकाये हैं।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्ट्रबर में अपने एक फैसले में दूरसंचार कंपनियों को गैर- दूरसंचार व्यवसाय से होने वाली आय को भी उनके राजस्व का हिस्सा मानने की सरकार की दलील को सही माना था। 

इस सकल राजस्व के एक हिस्से को कंपनियों को लाइसेंस और स्पेक्ट्रम फीस के रूप में सरकार को देना होता है। वहीं, तब वोडाफोन आइडिया ने कहा था कि अगर उसे बेलआउट नहीं किया गया तो उसे भारत में अपना कामकाज बंद करना होगा।

Web Title: Supreme Court Gives telecom companies 10 Years To Pay Dues their AGR

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