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लॉकडाउन के दौरान बिल्कुल मुफ्त होगा टीवी रिचार्ज, फोन करना भी होगा फ्री, मिलेगा अनलिमिटेड इंटरनेट, सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

By भाषा | Updated: April 16, 2020 16:59 IST

याचिका में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान केन्द्र और राज्य सरकारों ने लोगों को जीवित रहने के लिये भोजन, आवास और दूसरी सुविधायें मुहैया कराने के लिये अनेक कदम उठाये हैं लेकिन दिन प्रतिदिन बढ़ रहे मनोवैज्ञानिक दबाव को कम करने के लिये ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।

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ठळक मुद्देयाचिका में कहा गया है कि फोन पर लंबी लंबी बातें करके, वीडियो चैट या डीटीएच प्लेटफाम पर टीवी चैनल देखकर मनोरंजन के माध्यम से मनोवैज्ञानिक दबाव कम करने में मदद मिलेगी।याचिका में कहा गया है कि असीमित मुफ्त आडियो और वीडियो संचार सुविधा रास्ते में फंसे लोगों को अपने परिवारों से संपर्क करने और मौजूदा स्थिति से निबटने में मददगार होगी।

कोविड-19 महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन के दौरान उपभोक्ताओं को ‘मनोवैज्ञानिक दबाव’ से मुक्ति दिलाने के लिये उन्हें असीमित मुफ्त फोनकाल, डाटा का इस्तेमाल और डीटीएच सुविधा प्रदान कराने के लिये सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गयी है।याचिका में लॉकडाउन के दौरान या पृथकवास में रखे गये लोगों पर पड़ रहे मानसिक दबाव को कम करने के लिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को उचित कदम उठाने का निदेश देने का अनुरोध किया गया है। यह याचिका अधिवक्ता मनोहर प्रताप ने दायर की है।याचिका में सरकार और दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को लॉकडाउन के दौरान डीटीएच सेवा प्रदाताओं के लाइसेंस के करार की संबंधित शर्तों को लागू करने और उपभोक्ताओ को असीमित मुफ्त फोन कॉल और उनके चैनलों तथा उसकी सामग्री को देखने की अनुमति प्रदान करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।याचिका में कहा गया है कि फोन पर लंबी लंबी बातें करके, वीडियो चैट या डीटीएच प्लेटफाम पर टीवी चैनल देखकर मनोरंजन के माध्यम से मनोवैज्ञानिक दबाव कम करने में मदद मिलेगी। याचिका में कहा गया है कि असीमित मुफ्त आडियो और वीडियो संचार सुविधा रास्ते में फंसे लोगों को अपने परिवारों से संपर्क करने और मौजूदा स्थिति से निबटने में मददगार होगी।याचिका में दावा किया गया है कि लॉकडाउन के दौरान केन्द्र और राज्य सरकारों ने लोगों को जीवित रहने के लिये भोजन, आवास और दूसरी सुविधायें मुहैया कराने के लिये अनेक कदम उठाये हैं लेकिन दिन प्रतिदिन बढ़ रहे मनोवैज्ञानिक दबाव को कम करने के लिये ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया है।

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