European Union: ऐपल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, फेसबुक और टिकटॉक को यूरोपीय संघ ने नए डिजिटल नियम के दायरे में रखा, जानें क्या है 'डिजिटल बाजार अधिनियम'
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 6, 2023 18:46 IST2023-09-06T18:45:37+5:302023-09-06T18:46:20+5:30
European Union: छह वैश्विक कंपनियों को 'ऑनलाइन गेटकीपर' के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसकी वजह से उन पर अधिकतम निगरानी रखी जाएगी।

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European Union: यूरोपीय संघ (ईयू) ने ऐपल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, फेसबुक और टिकटॉक जैसी प्रौद्योगिकी आधारित कंपनियों को नए डिजिटल नियमों के दायरे में लाने की बुधवार को घोषणा की। यूरोपीय संघ में ऑनलाइन कंपनियों की कारोबारी क्षमता को नियंत्रित करने के इरादे से 'डिजिटल बाजार अधिनियम' लाया गया है।
इसके तहत इन छह वैश्विक कंपनियों को 'ऑनलाइन गेटकीपर' के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसकी वजह से उन पर अधिकतम निगरानी रखी जाएगी। यूरोपीय संघ की कार्यकारी शाखा यूरोपीय आयोग के आयुक्त एवं डिजिटल नीति के प्रभारी थिएरी ब्रेटन ने कहा, "अब खेल के नियम बदलने का वक्त आ गया है।
हमें यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी ऑनलाइन मंच, चाहे वह कितना भी बड़ा हो, ढंग से बर्ताव करे।" यूरोपीय संघ के इस कानून में प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए उन गतिविधियों का जिक्र है जिनसे वे नए डिजिटल बाजारों पर कब्जा न कर पाएं। इसके लिए उन पर भारी जुर्माना लगाने या कंपनी को विघटित करने की चेतावनी देने जैसे तरीके भी अपनाए जा सकते हैं।
गूगल की मूल कंपनी अल्फाबेट, फेसबुक की संचालक कंपनी मेटा, ऐपल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट एवं टिकटॉक की मूल कंपनी बाइटडांस को यूरोपीय संघ के नए डिजिटल नियमों का अनुपालन करना होगा। हालांकि इन कंपनियों को अनुपालन के लिए छह महीनों का वक्त दिया गया है।
यूरोपीय आयोग ने कहा कि डिजिटल मंच अगर कारोबारों एवं उपभोक्ताओं के बीच गेटवे के तौर पर सेवाएं देते हैं तो उन्हें 'गेटकीपर' के तौर पर सूचीबद्ध किया जा सकता है। इन सेवाओं में गूगल का क्रोम ब्राउजर, माइक्रोसॉफ्ट का विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम, मेटा का व्हाट्सऐप, टिकटॉक और अमेजन के मार्केटप्लेस और ऐपल के ऐप स्टोर शामिल हैं।
संदेश-आधारित सेवाओं को एक-दूसरे के साथ काम करने की जरूरत होगी। इसके अलावा डिजिटल मंच ऑनलाइन सर्च के नतीजों में अपने उत्पादों या सेवाओं को अपने प्रतिद्वंद्वियों के ऊपर नहीं दर्शा पाएंगे। इन प्रावधानों का उल्लंघन करने वाली कंपनी पर उसके वार्षिक वैश्विक राजस्व का 10 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है। बार-बार उल्लंघन करने पर यह जुर्माना 20 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है या फिर कंपनी को विघटित भी किया जा सकता है।