Apple Cryptocurrency Mining: ऐपल ऐप स्टोर से बंद हुए ये ऐप्स, जानिए क्या है वजह
By जोयिता भट्टाचार्या | Updated: June 12, 2018 20:07 IST2018-06-12T20:07:31+5:302018-06-12T20:07:31+5:30
ऐपल ने अपने एक बयान में कहा है कि ऐप स्टोर पर उन ऐप को भी बैन किया जाएगा जो किसी थर्ड पार्टी ऐप के विज्ञापनों को ऐप पर दिखाते हैं। जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग।

Apple Cryptocurrency Mining: ऐपल ऐप स्टोर से बंद हुए ये ऐप्स, जानिए क्या है वजह
नई दिल्ली, 12 जून: अमेरिकी टेक दिग्गज कंपनी Apple ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी में अहम बदलाव किए हैं। ऐपल ने अपने ऐप स्टोर के लिए रिव्यू गाइडलाइन को अपडेट किया है। दरअसल, कंपनी ने अपने ऐप स्टोर में ऐसे ऐप्स को बैन कर दिया है जो ऐपल प्लेटफॉर्म पर बिट्क्वॉइन या क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े हुए थे। कंपनी की नई गाइडलाइंस के अनुसार कंपनी ने ऐसे ऐप्स को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया है।
इसके अलावा, Apple ने अपने ऐप स्टोर पर फालतू के ऐप्स को भी बंद कर दिया है। साथ ही उन ऐप्स पर भी प्रतिबंध लगा दिया है जो आईफोन की बैटरी को ज्यादा खर्च करते हैं। इनमें ऐसे ऐप्स भी शामिल हैं जो डिवाइसेज पर ज्यादा भार डालते हैं, जिनकी वजह से ऐपल के डिवाइस गर्म हो जाते हैं।
ये भी पढ़ें- Jio डबल धमाका ऑफर कर देगा Airtel की छुट्टी, अब हर दिन मिलेगा एक्स्ट्रा 1.5 GB 4G डेटा
ऐपल ने अपने एक बयान में कहा है कि ऐप स्टोर पर उन ऐप को भी बैन किया जाएगा जो किसी थर्ड पार्टी ऐप के विज्ञापनों को ऐप पर दिखाते हैं। जैसे कि क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग। इसके अलावा, कंपनी उन थर्ड पार्टी ऐप्स के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करेगी जो क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देते हैं। ऐसे ऐप्स को कंपनी ने ऐप स्टोर से हटा दिया है। इसके अलावा बैकग्राउंड में फालतू के विज्ञापन चलाने वाले ऐप्स को रिमूव किया गया है। इनमें से ज्यादातर वो हैं जिनके बैकग्राउंड पर क्रिप्टोकरेंसी के विज्ञापन डिस्प्ले होते हैं।
हालांकि कंपनी ने यह भी कहा है कि वे ऐप्स ऐप स्टोर पर रहेंगे जो क्लाउड आधारित क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग करते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो एप्पल अब ऐप को ऐप स्टोर पर पब्लिश होने नहीं देगा जो ऐप वाले फोन या डिवाइस के जरिए क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग करते हैं।
ये भी पढ़ें- Xiaomi Redmi 6A बजट स्मार्टफोन लॉन्च, फेस अनलॉक और 18:9 डिस्प्ले है खासियत
बता दें कि 25 मई 2018 से यूरोप में GDPR लागू हो गया है जिसके बाद ऑनलाइन सर्विस देने वालों सभी सोशल मीडिया या फिर किसी दूसरे ऑनलाइन सेवा देने वाली कंपनियों को अपने यूजर्स को यह बताना होगा कि वह यूजर्स की कौन-कौन सी जानकारियों को अपने इस्तेमाल के लिए ले रही हैं।

