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एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया नहीं करेंगी AGR के बकाया का भुगतान, सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का इंतजार

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: January 23, 2020 17:05 IST

पिछले साल अक्टूबर में आए उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद दूरसंचार विभाग ने जो अनुमान लगाया है कि उसके अनुसार 15 दूरसंचार कंपनियों पर कुल देनदारी 1.47 लाख करोड़ रुपये की बनती है। इसमें जुर्माना और ब्याज भी शामिल है। 

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ठळक मुद्देदूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों पर यह अतिरिक्त देनदारी उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद आई है। रिलायंस जियो द्वारा एजीआर के बकाया 177 करोड़ रुपये के भुगतान की संभावना है।

भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया ने टेलिकॉम डिपार्टमेंट को बताया है कि वे 88,624 करोड़ रुपये के बकाया एजीआर का भुगतान नहीं करेंगी। ये टेलीकॉम कंपनियां सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का इंतजार करेंगी। गौरतलब है कि एजीआर के बकाया भुगतान का आज 23 जनवरी को आखिरी दिन था। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ये दोनों कंपनिया अगले हफ्ते होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई का इंतजार कर रही हैं।

दोनों कंपनियों ने दूरसंचार विभाग से कहा है कि उन्हें एजीआर (AGR) के बकाया का भुगतान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा उनकी संशोधित याचिका की सुनवाई तक का समय दिया जाए। वहीं रिलायंस जियो द्वारा एजीआर के बकाया 177 करोड़ रुपये के भुगतान की संभावना है।

पिछले साल अक्टूबर में आए उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद दूरसंचार विभाग ने जो अनुमान लगाया है कि उसके अनुसार 15 दूरसंचार कंपनियों पर कुल देनदारी 1.47 लाख करोड़ रुपये की बनती है। इसमें जुर्माना और ब्याज भी शामिल है। 

दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों पर यह अतिरिक्त देनदारी उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद आई है। उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में सरकार की उस दलील को सही ठहराया है कि दूरसंचार कंपनियों की गैर- दूरसंचार कारोबार से होने वाली आय भी उनके सालाना समायाजित सकल राजस्व का हिस्सा है। दूरसंचार कंपनियों को अपनी राजस्व आय से लाइसेंस और स्पेक्ट्रम शुल्क का सरकार को भुगतान करना होता है। 

इस फैसले के बाद दूरसंचार कंपनियों के अलावा गैर- दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियों पर भी 2.4 लाख करोड़ रुपये की देनदारी बनती है। इनमें गैर- दूरसंचार क्षेत्र की कंपनियां गेल इंडिया लिमिटेड, विद्युत पारेषण क्षेत्र की पावर ग्रिड आदि भी शामिल हैं। इन कंपनियों ने आप्टिक फाइबर केबल पर ब्रांडबैंड चलाने के लिये लाइसेंस लिया हुआ है।

दूरसंचार मंत्रालय के दूरसंचार विभाग (DoT) द्वारा टेलिकॉम कंपनियों से लिए जाने वाले स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क और लाइसेंसिग फीस को ही एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू या एजीआर AGR) कहते हैं। एजीआर के दो हिस्से होते हैं। पहला स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क और दूसरा लाइसेंस शुल्क। यह 3-5 फीसदी और 8 फीसदी होता है।

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