लाइव न्यूज़ :

Dhanteras 2023: कौन हैं भगवान धन्वन्तरि? जिनकी पूजा करना धनतेरस पर माना जाता है शुभ

By आकाश चौरसिया | Updated: November 9, 2023 13:45 IST

दिवाली पर ये पांच दिनों के त्योहारों को बहुत ही खास माना जाता है। धनतेरस को हिंदू कैलेंडर के अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष, यानी कृष्ण पक्ष के 13वें दिन सेलिब्रेट करते है। इस साल धनतेरस आगामी 10 नवंबर को पड़ रहा है। 

Open in App
ठळक मुद्देधन्वन्तरि भगवान की पूजा धनतेरस पर करना होता है शुभ इसके साथ ही उनकी पूजा करने से लोगों की सेहत में होता है सुधारदिवाली पर ये पांच दिनों के त्योहारों को बहुत ही खास माना जाता है।

Dhanteras 2023: धन्वन्तरि भगवान को वैसे तो व्यक्तियों के उपचार करने में और उनके स्वास्थ्य को ठीक करने में भगवान का ध्यान और पूजा को शुभ माना जाता है। लेकिन, धनतेरस पर भगवान की पूजा को भी शुभ संदेश के रूप में देखा जाता है। 

धनतेरस पर्व को धन्वन्तरि त्रयोदशी के नाम से भी जाना गया है। दिवाली पर ये पांच दिनों के त्योहारों को बहुत ही खास माना जाता है। धनतेरस को हिंदू कैलेंडर के अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष, यानी कृष्ण पक्ष के 13वें दिन सेलिब्रेट करते हैं। इस साल धनतेरस आगामी 10 नवंबर को पड़ रहा है। 

धनतेरस पर कई पारंपरिक प्रथाओं जैसे सोने और चांदी की चीजों को घर लाना और इसक साथ ही भगवान धन्वन्तरि की पूजा-अर्चना करना भी बेहद शुभ संकेत माना जाता है। धन्वन्तरि के साथ धनतेरस पर कुबेर भगवान की भी पूजा होती है। धनतेरस दिवाली से पहले, जबकि भाईदूज को दीपावली के बाद मनाया जाता है। 

आर्युवेद की परंपरा में भगवान धन्वन्तरि, विष्णु भगवान का अवतार है, उनको किसी भी व्यक्ति के स्वास्थ्य के उपचार में भी उनकी पूजा मददगार होती है। चरक संहिता के अनुसार, आयुर्वेद का ज्ञान जीवंत है और ब्रह्मांडीय निर्माण के प्रत्येक चक्र के दौरान प्रकट होता है। जब मानव पीड़ा को हरने भगवान को याद करता है, तो भगवान विष्णु आयुर्वेद की परंपरा को बहाल करने और मानव पीड़ाओं को कम करने के लिए भगवान धन्वन्तरि के रूप में अवतरित होते हैं।

नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के मुताबिक, भगवान धन्वन्तरि को पौराणिक देवताओं के रूप में गिना जाता है, जो समुद्र मंथन के अंत में एक हाथ में अमृत और दूसरे हाथ में आयुर्वेद लेकर पैदा हुए थे। उन्होंने चंद्र वंश में अपना पुनर्जन्म लिया। 

भगवान धन्वन्तरि का जन्म राजा धन्वा के घर हुआ था और उन्होंने भारद्वाज से आयुर्वेद की शिक्षा ली थी। ऐसा कहा जाता है कि सुश्रुत ने धन्वन्तरि से आयुर्वेद चिकित्सा की कला सीखी थी। भगवान घन्वन्तरि को देवताओं का वैद्य (डॉक्टर) भी माना जाता है। 

दूध के सागर का मंथन, पुराणों में एक प्रसिद्ध कथा है, जो मानसिक ध्यान, इच्छाओं पर नियंत्रण, कठोर तपस्या और तपस्या के माध्यम से आत्म-विश्लेषण प्राप्त करने के लिए एक व्यक्ति की आध्यात्मिक खोज का प्रतीक है। यह प्रतीकात्मक कहानी भारत में हर बारह साल में मनाए जाने वाले पवित्र त्योहार कुंभ मेले में प्रकट होती है। यह कुंभ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में इसका मेला लगता है, इस जगह को संगम कहते हैं।

टॅग्स :धनतेरसदिवालीभारत
Open in App

संबंधित खबरें

भारत‘पहलगाम से क्रोकस सिटी हॉल तक’: PM मोदी और पुतिन ने मिलकर आतंकवाद, व्यापार और भारत-रूस दोस्ती पर बात की

भारतPutin India Visit: एयरपोर्ट पर पीएम मोदी ने गले लगाकर किया रूसी राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत, एक ही कार में हुए रवाना, देखें तस्वीरें

भारतPutin India Visit: पुतिन ने राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी, देखें वीडियो

भारतPutin Visit India: राष्ट्रपति पुतिन के भारत दौरे का दूसरा दिन, राजघाट पर देंगे श्रद्धांजलि; जानें क्या है शेड्यूल

भारतपीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन को भेंट की भगवत गीता, रशियन भाषा में किया गया है अनुवाद

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार