22 मई को वट सावित्री व्रत है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिए व्रत करती हैं। मान्यता है कि इस दिन उपवास और पूजा करने वाली महिलाओं के पति पर आयी संकट टल जाती है और उनकी आयु लंबी होती है। सिर्फ यही नहीं आपकी शादी-शुदा जिंदगी में भी कोई परेशानी चल रही हो तो वो भी सही हो जाती है।
हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा तिथि पर सावित्री व्रत रखने का विधान है। स्कंद और भविष्योत्तर पुराण में भी ये व्रत उसी दिन करने का विधान है। वहीं निर्णयामृत ग्रंथों के अनुसार वट सावित्री व्रत की पूजा ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की अमावस्या पर की जानी चाहिए। उत्तर भारत की बात करें तो यहां वट सावत्री व्रत ज्येष्ठ अमावस्या को ही किया जाता है।
वट सावित्री व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त
वट सावित्री व्रत - 22 मई 2020 अमावस्या तिथि प्रारंभ: 21 मई 2020 को शाम 09 बजकर 35 मिनट से अमावस्या तिथि समाप्त: 22 मई 2020 को रात 11 बजकर 08 मिनट तक
वट सावित्री व्रत के लिए जरूरी पूजन सामग्री
1. सत्यवान-सावित्री की मूर्ति (कपड़े की बनी हुई) 2. बाँस का पंखा 3. लाल धागा 4. धूप 5. मिट्टी का दीपक 6. घी
7. फूल फल (आम, लीची और अन्य फल) 8. कपड़ा 1.25 मीटर का9. दो दीपक10. सिंदूर 11. जल से भरा हुआ पात्र 12. रोली
वट सावित्री व्रत पूजा-विधि
1. वट सावित्री व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।2. अब व्रत का संकल्प लें।3. 24 बरगद फल, और 24 पूरियां अपने आंचल में रखकर वट वृक्ष के लिए जाएं। 4. 12 पूरियां और 12 बरगद फल वट वृक्ष पर चढ़ा दें। 5. इसके बाद एक लोटा जल चढ़ाएं।6. वृक्ष पर हल्दी, रोली और अक्षत लगाएं।
7. फल-मिठाई अर्पित करें। 7. धूप-दीप दान करें।7. कच्चे सूत को लपेटते हुए 12 बार परिक्रमा करें।8. हर परिक्रमा के बाद भीगा चना चढ़ाते जाएं।9. अब व्रत कथा पढ़ें।10. अब 12 कच्चे धागे वाली माला वृक्ष पर चढ़ाएं और दूसरी खुद पहन लें।11. 6 बार इस माला को वृक्ष से बदलें।12. बाद में 11 चने और वट वृक्ष की लाल रंग की कली को पानी से निगलकर अपना व्रत खोलें।