Kamika Ekadashi: आज है कामिका एकादशी व्रत, जानें पूजा विधि और इसका महत्व

By गुणातीत ओझा | Updated: July 16, 2020 20:36 IST2020-07-16T11:54:22+5:302020-07-16T20:36:33+5:30

कामिका एकादशी व्रत। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी में भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। इस एकादशी का व्रत रखने वालों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

today is kamika ekadashi know significance and pooja vidhi | Kamika Ekadashi: आज है कामिका एकादशी व्रत, जानें पूजा विधि और इसका महत्व

जानें कामिका एकादशी व्रत का महत्व।

Highlightsकामिका एकादशी व्रत। श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी कहा जाता है।इस एकादशी में भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। इस एकादशी का व्रत रखने वालों को सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

आज कामिका एकादशी है। कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु के उपेन्द्र स्वरुप की पूजा की जाती है। कामिका एकादशी को पवित्रा एकादशी भी कहा जाता है। मान्यता है कि कामिका एकादशी व्रत करने वालों के पूर्वजन्म के पाप धुल जाते हैं। इस पवित्र एकादशी का व्रत रखने वालों को दोनों लोक में उत्तम फल मिलते हैं। इस व्रत को हजार गौ दान के पुण्य समान माना गया है। एकादशी के दिन किया जाने वाला व्रत समस्त पाप और कष्टों को नष्ट करके हर प्रकार की सुख-समृद्धि प्रदान करता है। आइये आपको बताते हैं कामिका एकादशी व्रत की विधि...

कामिका एकादशी व्रत पूजा विधि

1. इस दिन प्रात:काल स्नान से निवृत्त होकर पहले व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा प्रारंभ करें।
2.  पूजन में प्रभु को फल-फूल, तिल, दूध, पंचामृत आदि अर्पित करें।
3.  व्रत वाले दिन भगवान विष्णु के नाम का स्मरण करें एवं भजन-कीर्तन करें। विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ अवश्य करें।
5.  एकादशी के अगले दिन यानि द्वादशी को ब्राह्मण को भोजन और दक्षिणा देकर विदा करें| इसके पश्चात ही भोजन ग्रहण करें।

कामिका एकादशी का महत्व

कामिका एकादशी पर भगवान विष्णु के पूजा का विशेष महत्व माना गया है। इस व्रत के प्रभाव से सबके बिगड़े काम बनने लगते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा से भक्तों के साथ उनके पितृों के कष्ट भी दूर हो जाते हैं। कामिका एकादशी के अवसर पर तीर्थ स्थानों पर नदी, कुंड, सरोवर में स्नान करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है।

श्री विष्णुजी को यदि संतुष्ट करना हो तो उनकी पूजा तुलसी पत्र से करें। ऐसा करने से ना केवल प्रभु प्रसन्न होंगे बल्कि आपके भी सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनना यज्ञ करने के समान है।

कामिका एकादशी व्रत कथा

महाभारत काल के समय धर्मराज युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से कहा, “हे प्रभु, कृपा करके मुझे कामिका एकादशी का महत्व और उसका वर्णन सुनाएं।’’ भगवान कृष्ण ने कहा कि- ‘‘इस एकादशी व्रत की कथा स्वयं ब्रह्मा जी ने देवर्षि नारद को सुनाई थी, अत: मैं भी तुम्हें वही सुनाता हूं।’’

एक समय नारद जी ने ब्रह्मा जी से कामिका एकादशी की कथा सुनने की इच्छा जताई थी| ब्रह्मा जी ने कहा- हे नारद! कामिका एकादशी व्रत की कथा सुनने मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस तिथि पर शंख, चक्र एवं गदाधारी भगवान विष्णु का पूजन होता है।

गंगा, काशी, नैमिषारण्य और पुष्कर जैसी तीर्थ में स्नान करने से जो फल मिलता है, वह भगवान विष्णु के पूजन से भी मिलता है। पापों से भयभीत व्यक्ति को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। स्वयं प्रभु ने कहा है कि कामिका व्रत से कोई भी जीव कुयोनि में जन्म नहीं लेता। इस एकादशी पर जो भी मनुष्य श्रद्धा-भक्ति से भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करते हैं, उन्हे पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

Web Title: today is kamika ekadashi know significance and pooja vidhi

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