Somvati Amavasya: हिंदी पंचांग के अनुसार किसी भी महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहा जाता है। सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। इस वर्ष यह शुभ संयोग है कि सोमवती अमावस्या तीन बार पड़ रही है। पहली दो निकल चुकी हैं और तीसरी इसी 28 अक्टूबर को पड़ेगी।
सोमवती अमावस्या को अश्वत्थ प्रदक्षिणा व्रत भी कहा जाता है। अश्वत्थ का मतलब होता है कि पीपल का पेड़ और प्रदक्षिणा मतलब परिक्रमा। भारत में इस तिथि पर महिलाएं पीपल के पेड़ या तुलसी के पौधे की पूजा करती हैं।
यह व्रत संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। सोमवती अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है इसलिए बहुत से लोग मौन व्रत साधकर मन को शांत करने की कोशिश करते हैं।
सोमवती अमावस्या मुहूर्त और पूजा विधि
सोमवती अमावस्या इस बार रविवार 27 अक्टूबर से शुरू होकर सोमवार 28 अक्टूबर तक है। पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि रविवार 12:23 बजे शुरू होकर सोमवार सुबह 09:08 बजे तक है। इस दौरान व्रत रखने से निश्चित ही लाभ का योग बनेगा।
परम्परा है कि सोमवती अमावस्या पर स्नान करके व्रत का संकल्प लें। शादीशुदा स्त्रियां पीपल के पेड़ पर दूध, जल, फूल, अक्षत, चन्दन आदि सामग्रियां अर्पित करें और पेड़ के चारों ओर 108 बार धागा लपेटते हुए भगवान विष्णु की आराधना करें।
इस तरह तुलसी के पौधे की परिक्रमा की जा सकती है। तुलसी के पौधे पर धान, पान और खड़ी हल्दी अर्पित करें।
गंगा-यमुना जैसे पावन नदियों में स्नान और ईश्वर की आराधना कर उसकी विशेष कृपा का आशीर्वाद लिया जा सकता है।
पौराणिक महत्व है कि एक बार भीष्म पितामह ने धर्मराज युधिष्ठिर को इस तिथि का महत्व समझाया था। भीष्म पितामह ने कहा था कि सोमवती अमावस्या को नदियों में स्नान करने से मानव के सभी कष्ट मिटते हैं। वह समृद्ध, स्वस्थ्य होता है और दुखों दूर हो जाता है।
माना जाता है कि सोमवती अमावस्या पर स्नान करने से पितरों शांति मिलती है।
इस दिन दान करने से विशेष लाभ मिलता है। दान करना चाहें तो जरूरतमंदों को ही दान करें।
इस बार सोमवती अमावस्या पर पांच दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव दिवाली पर पड़ रही है।