लाइव न्यूज़ :

Sheetla Ashtami 2020: आज है शीतलाष्टमी पर्व, जानिए महत्व और पूजा विधि

By गुणातीत ओझा | Published: June 13, 2020 3:31 PM

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता का स्वरूप अत्यंत शीतल है, जो रोग-दोषों को हरण करने वाली हैं। माता के हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं और वे गधे की सवारी करती हैं।

Open in App
ठळक मुद्देधार्मिक मान्यताओं के अनुसार शीतला माता का स्वरूप अत्यंत शीतल है, जो रोग-दोषों को हरण करने वाली हैं।माता के हाथों में कलश, सूप, झाड़ू और नीम के पत्ते हैं और वे गधे की सवारी करती हैं।

शास्त्रों के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की अष्टमी, वैशाख, जेष्ठ और आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को शीतला अष्टमी कहते हैं। इन चारों महीने के चार दिन का व्रत करने से शीतला माता की कृपा बनती है। शास्त्रों में बताई गई इस पर्व की पूजा विधि में शीतल जल और बासी भोजन का भोग लगाने का विधान है। श्रद्धालु शीतला अष्टमी का व्रत रखकर माता की भक्ति करके अपने परिवार की रक्षा करने के लिए माता से प्रार्थना करते हैं। इस बार 13 जून 2020, शनिवार को शीतलाष्टमी बसौरा पर्व मनाया जा रहा है।

मान्यता है कि शीतला माता भगवती दुर्गा का ही रूप हैं। माना जाता है कि शीतला अष्टमी का व्रत रखने से छोटी माता का प्रकोप नहीं होता। शीतला सप्तमी और शीतलाष्टमी व्रत मनुष्य को चेचक के रोगों से बचाने का प्राचीन काल से चला आ रहा व्रत है। आयुर्वेद की भाषा में चेचक का ही नाम शीतला कहा गया है। अतः इस उपासना से शारीरिक शुद्ध, मानसिक पवित्रता और खान-पान की सावधानियों का संदेश मिलता है।

इस व्रत में अष्टमी के दिन कलश स्थापित कर माता का पूजन किया जाता है तथा प्रार्थना की जाती है कि- चेचक, गलघोंटू, बड़ी माता, छोटी माता, तीव्र दाह, दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र रोग और शीतल जनित सभी प्रकार के दोष शीतला माता की आराधना, पूजा से दूर हो जाएं। इस अवसर पर शीतला मां का पाठ करके निरोग रहने के लिए प्रार्थना की जाती है।

शीतला अष्टमी की पूजा विधि-शीतला अष्टमी की पूजा विधि-

-पूजा की थाली में दही, पुआ, रोटी, बाजरा, सप्तमी को बने मीठे चावल, नमक पारे और मठरी रखें।-दूसरी थाली में आटे से बना दीपक, रोली, वस्त्र, अक्षत, हल्दी, मोली, होली वाली बड़कुले की माला, सिक्के और मेहंदी रखें। -दोनों थालियों के साथ में ठंडे पानी का लोटा भी रख दें। -अब शीतला माता की पूजा करें। -माता को सभी चीज़े चढ़ाने के बाद खुद और घर से सभी सदस्यों को हल्दी का टीका लगाएं।-मंदिर में पहले माता को जल चढ़ाकर रोली और हल्दी का टीका करें।-माता को मेहंदी, मोली और वस्त्र अर्पित करें। -आटे के दीपक को बिना जलाए माता को अर्पित करें।-अंत में वापस जल चढ़ाएं और थोड़ा जल बचाकर उसे घर के सभी सदस्यों को आंखों पर लगाने को दें। बाकी बचा हुआ जल घर के हर हिस्से में छिड़क दें।-इसके बाद होलिका दहन वाली जगह पर भी जाकर पूजा करें। वहां थोड़ा जल और पूजन सामग्री चढ़ाएं।-घर आने के बाद पानी रखने की जगह पर पूजा करें।-अगर पूजन सामग्री बच जाए तो गाय या ब्राह्मण को दे दें।

टॅग्स :धार्मिक खबरेंशीतला अष्टमीमां दुर्गामां लक्ष्मी
Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठAkshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया पर कैसे करें मां लक्ष्मी को खुश?, इन 5 मंत्रों का करें जाप ...

पूजा पाठKalashtami 2024: कालाष्टमी व्रत कल, जानिए शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और प्रसाद आदि के नियम

पूजा पाठLord Shiva: भोलेनाथ के अचूक 'शिव महिम्न: स्तोत्र' के पाठ से होती है सुखों की प्राप्ति, जानिए इस पाठ की महिमा

पूजा पाठLord Ganesh: गणपति क्यों करते हैं मूसक की सवारी, क्या है भगवान गणेश के दिव्य वाहन की कथा, जानिए यहां

पूजा पाठHanuman Jayanti 2024: पंचमुखी हनुमान के पूजन से दूर होता है भय, बढ़ता है आत्मविश्वास, जानिए रुद्रावतार के इस महास्वरूप की कहानी

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 19 May 2024: आज एकादशी पर इन पांच राशिवालों के लिए बन रहा है धन योग, पढ़ें अपना दैनिक राशिफल

पूजा पाठआज का पंचांग 19 मई 2024: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठMohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी व्रत कल, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से मिटते हैं सारे पाप

पूजा पाठParshuram Dwadashi 2024: क्यों मनाई जाती है परशुराम द्वादशी, क्या है इसका महत्व, जानें इसकी तिथि और समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 18 May 2024: आज आर्थिक फैसले लेते समय बरतें सावधानी, धन खर्च होने की संभावना