नवरात्रि 2018: घट स्थापना करते समय कतई ना करें ये 3 गलतियां

By मेघना वर्मा | Published: October 9, 2018 10:58 AM2018-10-09T10:58:31+5:302018-10-09T10:58:31+5:30

अगर आप कलश में घट स्थापना कर रहे हैं तो ध्यान रहे सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद कलश पर मौली बांधे और उसमें जल भर लें।

shardiya navratri: do and don't on kalash sthapana, ghatasthapana and its significance | नवरात्रि 2018: घट स्थापना करते समय कतई ना करें ये 3 गलतियां

नवरात्रि 2018: घट स्थापना करते समय कतई ना करें ये 3 गलतियां

हिंदू धर्म के सबसे पवित्र नवरात्रि की शुरूआत 10 अक्टूबर से हो रही है। माता भगवती को पूजने ,मनाने एवं उनकी आराधना के साथ उनकी कृपा पाने का यह श्रेष्ठ एवं पवित्र समय होता है। अश्विन मास के शुक्ल पक्ष को मानाई जाने वाली शारदीय नवरात्रि का खास महत्व होता है। लोग ना सिर्फ 9 दिन व्रत करते हैं बल्कि तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। लोग इस दिन घट स्थापना भी करते हैं लेकिन कई बार जाने-अनजाने उनसे गलतियां हो जाती हैं जिसका नुकसान भी उन्हें चुकाना पड़ता है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही बिन्दु बताने जा रहे हैं जिन्हें घट स्थापना के समय ध्यान में रखें और भूलकर भी वो काम ना करें। 

1. हमेशा मंदिर में ही हो घट स्थापना

अक्सर लोग घर छोटा होने के कारण या मंदिर छोटी होने के कारण किसी दूसरे कमरे में या किसी दूसरी जगह पर घट स्थापना करते हैं। ऐसा करना सही नहीं। कोशिश करें कि जिस जगह आप रोज पूजा करते हों या घर की जिस भी जगह मंदिर हो उसी जगह घट की स्थापना करें।

2. साबुत सुपारी और नया सिक्का

अगर आप कलश में घट स्थापना कर रहे हैं तो ध्यान रहे सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं। इसके बाद कलश पर मौली बांधे और उसमें जल भर लें। अक्सर लोग कलश के अन्दर डाली जाने वाली सुपारी पर ज्यादा ध्यान नहीं देते और चटकी हुई सुपारी डाल देतें है। हमेशा साबुत सुपारी ही कलश में डालें और नए सिक्के को ही कलश में डालें। 

3. जौ को हमेशा मिट्टी के पात्र में रोंपें

घट स्थापना के बाद कलश के सामने जौ को उगाया जाता है। जिसकी 9 दिन मां के स्वरूप में पूजा की जाती है। माना ये भी जाता हैं कि इस जौ की जितनी वृद्धि होगी आपको जीवन में उतनी ही सफलता मिलेगी। मगर ध्यान रहे कि जौ को हमेशा मिट्टी के पात्र में ही रोंपें किसी अन्य पात्र में नहीं। इसका कारण ये है कि मिट्टी को हमेशा से शुद्ध माना जाता है।  

Web Title: shardiya navratri: do and don't on kalash sthapana, ghatasthapana and its significance

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