Shardiya Navratri 2025: मां दुर्गा के नौ रूपों को समर्पित शारदीय नवरात्रि का त्योहार आज से शुरू हो गया है। अब हर एक दिन माता के अलग-अलग रूपों की पूजा -अर्चना होगी। नवरात्रि के नौ दिन दुर्गा पूजा में नवपत्रिका का विशेष महत्व है। यह केवल नौ पत्तियों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों का प्रतीक मानी जाती है। नवपत्रिका को प्रकृति की जीवनदायिनी शक्ति और माँ दुर्गा का जीवित स्वरूप माना जाता है।
इसे महासप्तमी के दिन, पूजा से पहले, किसी पवित्र नदी या जल स्रोत में स्नान कराकर पूजा स्थल पर स्थापित किया जाता है। नवपत्रिका को गणेश जी के दाहिनी ओर रखा जाता है, क्योंकि गणेश जी को प्रथम पूज्य माना जाता है।
नौ पत्ते किसका प्रतीक हैं?
नवपत्रिका नौ विभिन्न पौधों का एक पवित्र समूह है, जिनमें से प्रत्येक दिव्य स्त्री के एक विशिष्ट रूप का प्रतीक है।
केले का पौधा: देवी ब्रह्माणी का प्रतीक है।
अरबी: देवी कालिका का प्रतीक है।
हल्दी: स्वयं देवी दुर्गा का प्रतीक है।
जयंती: देवी कार्तिकी का प्रतीक है।
बेल: देवी शिव का प्रतीक है।
अनार के पत्ते: देवी रक्तदंतिका का प्रतीक हैं।
अशोक के पत्ते: देवी शोकराहिता का प्रतीक हैं।
अरुम का पौधा: देवी चामुंडा का प्रतीक है।
धान: देवी लक्ष्मी का प्रतीक है।
नौ पौधे और उनका महत्व
शक्ति का प्रतीक: पत्तों का विविध संग्रह दुर्गा के भीतर दिव्य स्त्री ऊर्जा (शक्ति) के अनेक रूपों और अभिव्यक्तियों का प्रतिनिधित्व करता है।
कृषि संबंध: इस अनुष्ठान की गहरी कृषि जड़ें हैं, जो दर्शाता है कि यह त्योहार एक फसल उत्सव भी है, जो बढ़ते मौसम और प्रकृति की प्रचुरता के साथ देवी के संबंध का सम्मान करता है।
महिला सशक्तिकरण: नवपत्रिका, जिसे अक्सर कोला बौ ("केले की दुल्हन") कहा जाता है, का समावेश महिलाओं को जीवनदायिनी और समृद्धि एवं शक्ति का प्रतीक मानता है।
पवित्रता और अनुष्ठान: सप्तमी के दिन, नवपत्रिका को पवित्र नदी के जल से शुद्ध किया जाता है और फिर उसे साड़ी पहनाकर भगवान गणेश की मूर्ति के पास रखा जाता है, जो बंगाल में दुर्गा पूजा समारोह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
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