Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि में कब करना चाहिए कन्या पूजन, क्या कहता है शास्त्र विधान
By रुस्तम राणा | Updated: September 27, 2025 17:15 IST2025-09-27T17:15:11+5:302025-09-27T17:15:17+5:30
नवरात्रि में कन्या पूजन का सबसे शुभ समय महाष्टमी और महानवमी को है। शास्त्रों के अनुसार यह पूजन माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और घर में सुख-समृद्धि लाने का प्रमुख साधन माना गया है।

Shardiya Navratri 2025: नवरात्रि में कब करना चाहिए कन्या पूजन, क्या कहता है शास्त्र विधान
Shardiya Navratri 2025: शारदीय नवरात्रि 2025 इस बार 22 सितंबर (सोमवार) से 2 अक्टूबर (गुरुवार) तक मनाई जाएगी। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना करने के बाद दशमी तिथि को विजयादशमी मनाई जाएगी। नवरात्रि में कन्या पूजन का सबसे शुभ समय महाष्टमी और महानवमी को है। शास्त्रों के अनुसार यह पूजन माता दुर्गा की कृपा प्राप्त करने और घर में सुख-समृद्धि लाने का प्रमुख साधन माना गया है।
कन्या पूजन का महत्व
शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पूजने की परंपरा है। कहा गया है कि "कन्याओं में ही देवी का वास होता है।" अष्टमी और नवमी तिथि को कन्या पूजन करके उन्हें भोजन, वस्त्र और उपहार देने से माता दुर्गा प्रसन्न होती हैं और साधक को इच्छित फल प्राप्त होता है।
कन्या पूजन कब करें?
अष्टमी (30 सितंबर 2025, मंगलवार) – इस दिन को "दुर्गाष्टमी" कहते हैं। अधिकांश श्रद्धालु इसी दिन कन्या पूजन करते हैं।
नवमी (1 अक्टूबर 2025, बुधवार) – नवमी तिथि पर भी कन्या पूजन का विधान है। खासकर जो अष्टमी पर नहीं कर पाते, वे नवमी को करते हैं।
कुछ परंपराओं में अष्टमी व नवमी दोनों दिन पूजन करने का भी महत्व बताया गया है।
शास्त्र विधान
-कन्या पूजन में 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की आयु की कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है।
-उन्हें विधिवत चरण धोकर आसन पर बैठाया जाता है और माथे पर तिलक लगाया जाता है।
-फिर भोजन में पूड़ी, हलवा, चने आदि का प्रसाद अर्पित किया जाता है।
-कन्याओं को दक्षिणा, उपहार या वस्त्र भेंट किए जाते हैं।
-परंपरा के अनुसार एक छोटे बालक (लंगूरिया/भैरव स्वरूप) को भी साथ बैठाकर भोजन कराया जाता है।