हिंदू धर्म में दूर्वा घास काफी महत्व रखती है। दूर्वा एक विशेष प्रकार की घास है। दूर्वा शब्द दुहु और अवम शब्दों से मिलकर बना है। दूर्वा भगवान के दूर स्थित शुद्ध आध्यात्मिक कणों (पवित्रक) को भक्त के करीब लाती है। भगवान को दूर्वा चढ़ाए बिना कोई भी पूजा पूरी नहीं मानी जाती।
दूर्वा घास में तीन ब्लेड होते हैं जो आदि शिव, आदि शक्ति और आदि गणेश के तीन सिद्धांतों का प्रतिनिधित्व करते हैं। दूर्वा के कोमल अंकुरों का उपयोग किसी देवता की पूजा अनुष्ठान में किया जाता है। इन कोमल अंकुरों में अपने पत्तों पर गिरी ओस की बूंदों में मौजूद देवताओं के सिद्धांतों को अवशोषित करने की सबसे अधिक क्षमता होती है। इससे साधक को लाभ होता है।
वैसे तो दूर्वा घास भगवान गणेश को अति प्रिय है, लेकिन जब बात इस घास को भगवान शिव पर चढ़ाने की आती है तब इसे शिवलिंग पर चढ़ाने के कई लाभ होते हैं। इसी क्रम में अगर आप शिवलिंग पर दूर्वा चढ़ाते हैं तो इससे आपके सभी कार्य सफल होंगे। दूर्वा घास भगवान शिव को चढ़ाने से न सिर्फ आपको वित्तीय स्थिरता मिलती है बल्कि इससे आपके परिवार का समग्र कल्याण भी होता है।
यही नहीं, दूर्वा घास औषधीय गुणों से भी भरपूर होती है, इसलिए ऐसी मान्यता है कि कोई व्यक्ति शिवलिंग पर दूर्वा चढ़ाता है तो उसे अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है। वहीं, एस्ट्रोलॉजर प्रदुमन के अनुसार, अगर आप शिवलिंग पर दूर्वा चढ़ाते हैं तो इससे आपका कम्युनिकेशन अच्छा रहेगा, स्वास्थ्य बेहतर रहेगा, त्वचा संबंधी समस्याएं नहीं रहेंगी, तंत्रिका संबंधी असंतुलन नहीं होगा और आर्थिक लाभ भी होगा।