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Sawan 2020: शिवलिंग पर शंख से नहीं चढ़ाते हैं जल, जानें क्यों ?

By गुणातीत ओझा | Updated: July 13, 2020 10:10 IST

हिन्दू धर्म में किसी भी धार्मिक आयोजन में शंख का उपयोग महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि देवी-देवताओं को शंख से जल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है। लेकिन जब बात भगवान शिवजी की आती है तो शिवलिंग पर शंख से जल चढ़ाना गलत माना गया है। शिवपुराण में इसके पीछे एक कथा बताई गई है। आइये आपको बताते हैं आखिर क्यों शिवजी को शंख से जल अर्पित नहीं करना चाहिए...

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ठळक मुद्देहिन्दू धर्म में किसी भी धार्मिक आयोजन में शंख का उपयोग महत्वपूर्ण माना जाता है।सभी देवी-देवताओं में सिर्फ भगवान शिवजी को शंख से जल अर्पित नहीं करना चाहिए।

शिवपुराण के अनुसार शंखचूड नाम का महापराक्रमी दैत्य हुआ करता था। शंखचूड दैत्यराम दंभ का पुत्र था। दैत्यराज दंभ को जब बहुत समय तक कोई संतान नहीं हुई तब उसने भगवान विष्णु के लिए कठिन तपस्या की। तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु प्रकट हुए। विष्णुजी ने वर मांगने के लिए कहा तब दंभ ने तीनों लोको के लिए अजेय एक महापराक्रमी पुत्र का वर मांगा। श्रीहरि तथास्तु बोलकर अंतर्ध्यान हो गए। तब दंभ के यहां एक पुत्र का जन्म हुआ जिसका नाम शंखचूड़ पड़ा। शंखचुड ने पुष्कर में ब्रह्माजी के निमित्त घोर तपस्या की और उन्हें प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा ने वर मांगने के लिए कहा तब शंखचूड ने वर मांगा कि वो देवताओं के लिए अजेय हो जाए। ब्रह्माजी ने तथास्तु बोला और उसे श्रीकृष्णकवच दिया। साथ ही ब्रह्मा ने शंखचूड को धर्मध्वज की कन्या तुलसी से विवाह करने की आज्ञा दी। फिर वे अंतर्ध्यान हो गए।

ब्रह्मा की आज्ञा से तुलसी और शंखचूड का विवाह हो गया। ब्रह्मा और विष्णु के वरदान के मद में चूर दैत्यराज शंखचूड ने तीनों लोकों पर स्वामित्व स्थापित कर लिया। देवताओं ने त्रस्त होकर विष्णु से मदद मांगी परंतु उन्होंने खुद दंभ को ऐसे पुत्र का वरदान दिया था अत: उन्होंने शिव से प्रार्थना की। तब शिव ने देवताओं के दुख दूर करने का निश्चय किया और वे चल दिए। परंतु श्रीकृष्ण कवच और तुलसी के पतिव्रत धर्म की वजह से शिवजी भी उसका वध करने में सफल नहीं हो पा रहे थे तब विष्णु ने ब्राह्मण रूप बनाकर दैत्यराज से उसका श्रीकृष्णकवच दान में ले लिया।

इसके बाद शंखचूड़ का रूप धारण कर तुलसी के शील का हरण कर लिया। अब शिव ने शंखचूड़ को अपने त्रिशुल से भस्म कर दिया और उसकी हड्डियों से शंख का जन्म हुआ। चूंकि शंखचूड़ विष्णु भक्त था अत: लक्ष्मी-विष्णु को शंख का जल अति प्रिय है और सभी देवताओं को शंख से जल चढ़ाने का विधान है। परंतु शिव ने चूंकि उसका वध किया था अत: शंख का जल शिव को निषेध बताया गया है। इसी वजह से शिवजी को शंख से जल नहीं चढ़ाया जाता है।

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