Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन पर इस बार नहीं है कोई भद्रा का साया, जानें राखी बांधने का शुभ समय और विधि

By रुस्तम राणा | Updated: August 5, 2025 12:53 IST2025-08-05T12:53:08+5:302025-08-05T12:53:08+5:30

वर्ष 2025 में रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 9 अगस्त को सुबह 10:45 बजे से होगा और समाप्ति 10 अगस्त को सुबह 8:15 बजे होगी।

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Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन पर इस बार नहीं है कोई भद्रा का साया, जानें राखी बांधने का शुभ समय और विधि

Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक पर्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनके लंबे जीवन, सुख-समृद्धि और सुरक्षा की कामना करती हैं, जबकि भाई जीवनभर बहन की रक्षा का संकल्प लेते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, रक्षाबंधन का पर्व हर साल सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।

रक्षाबंधन 2025 की तिथि और शुभ मुहूर्त

वर्ष 2025 में रक्षाबंधन का त्योहार 9 अगस्त, शनिवार को मनाया जाएगा। इस दिन पूर्णिमा तिथि का आरंभ 9 अगस्त को सुबह 10:45 बजे से होगा और समाप्ति 10 अगस्त को सुबह 8:15 बजे होगी।

रक्षाबंधन पर राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 9 अगस्त को दोपहर 1:30 बजे से शाम 6:30 बजे तक रहेगा। इस अवधि में भद्रा काल नहीं रहेगा, इसलिए यह समय राखी बांधने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना गया है।

कैसे करें रक्षाबंधन की पूजा?

भाई को पूर्व या उत्तर दिशा में बैठाएं।
थाली में रोली, चावल, दीपक, मिठाई और राखी रखें।
भाई की आरती करें, माथे पर तिलक लगाएं और राखी बांधें।
भाई को मिठाई खिलाएं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करें।

रक्षाबंधन पर क्या करें और क्या न करें?

राखी बांधने का कार्य शुभ मुहूर्त में ही करें।
भद्रा काल में राखी न बांधें।
भाई को खाली हाथ न रखें, उन्हें तिलक और मिठाई जरूर दें।

रक्षाबंधन का महत्व

रक्षाबंधन 2025 का यह पर्व भाई-बहन के रिश्तों में प्रेम और विश्वास का नया संचार करेगा। इस अवसर पर आप भी अपने रिश्तों में मिठास लाएं और इस पावन त्योहार को पूरे उत्साह से मनाएं। रक्षाबंधन केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक रिश्तों को मजबूत करने का माध्यम भी है। प्राचीन कथाओं के अनुसार, जब भगवान कृष्ण के हाथ में चोट लगी तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का टुकड़ा फाड़कर उनके हाथ में बांधा। इस भावनात्मक संबंध के बदले कृष्ण ने जीवनभर द्रौपदी की रक्षा का वचन दिया। इसी घटना से रक्षाबंधन का महत्व और बढ़ जाता है।

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