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कहीं फूलों की बनेगी रंगोली तो कहीं पकेंगे 27 तरह के व्यंजन, ओणम में दिखेगी दक्षिण भारत की झलक

By मेघना वर्मा | Updated: August 14, 2018 07:41 IST

लोग इसके लिए ओणम लंच का भी आयोजन करते हैं और अपने करीबी दोस्तों और जानकारों को खाने पर बुलाते हैं।

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भारत देश संस्कृति और परम्पराओं का देश है। यहां की भौगोलिक स्थिति जितनी रंगारंग है उतनी ही विविधता भी हर मोड़ पर आपको देखने को मिलेगी। देश का उत्तरी भाग हो या दक्षिणी, पूर्वी भाग हो या पश्चिमी हर जगह की अपनी अलग खासियत और अपने अलग त्योहार हैं। कोने-कोने में मनाएं जाने वाले त्योहारों की रंगत देखते ही बनती है। इसी एक त्योहार में शामिल है केरल का सबसे पुराना और सबसे बड़ा त्योहार ओणम। ओणम हर साल श्रावण शुक्ल की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस साल ओणम 15 अगस्त से शुरू होकर 27 अगस्त तक चलने वाला है। आज हम आपको दक्षिण भारत के इसी खूबसूरत और पारंपरिक त्योहार की कुछ खास बाते बताने जा रहे हैं। आप भी जानिए क्या है इस त्योहार की विशेषता। 

राजा महाबली की होती है पूजा

इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि केरल में महाबली नाम का एक असुर राजा था जिसके आदर में लोग ओणम का पर्व मनाते हैं। बताया जाता है कि राजा महाबली ने भगवान विष्णु से साल में एक दिन अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आने की अनुमति मांगी और भगवान ने इसकी अनुमति भी दे दी। इसके बाद हर साल एक दिन राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने के लिए धरती पर आते हैं। इसी दिन राज्य के लोग उनका भव्य स्वागत करते हैं। इसके लिए वे अपने घरों को रंगोली से सजाते हैं। साथ ही कई तरह के पकवान भी बनाते है। केरल के अलावा इस त्यौहार को देश के कई हिस्सों में भी मनाया जाता है। लोग इसे फसल और उपज के लिए भी मनाते हैं। ओणम दस दिन के लिए मनाया जाता है. इस दौरान सर्प नौका दौड़ के साथ कथकली नृत्य और गाना भी होता है।

श्रावण देवता और फूलों की देवी की होती है पूजा

श्रावण के महीने में मौसम बहुत खुशगवार हो जाता है चारों तरफ हरियाली छा जाती है, रंग–बिरंगे फूलों की सुगन्ध से सारा चमन महक उठता है। केरल में इस समय चाय, अदरक, इलायची, काली मिर्च तथा धान की फसल पक कर तैयार हो जाती है। नारियल और ताड़ के वृक्षों से छाए हुए जल से भरे तालाब बहुत सुन्दर लगते हैं। लोगों में नई-नई आशाएं और नई-नई उमंगें भर जाती हैं लोग खुशी में भरकर श्रावण देवता और फूलों की देवी का पूजन करते हैं।

पहले 8 दिन फूलों से होती है सजावट

इस त्योहार के पहले आठ दिन फूलों की सजावट पोक्कलम (फूलों की रंगोली बनाई जाती है) का कार्यक्रम चलता है। नौवें दिन हर घर में भगवान विष्णु की मूर्ति बनाई जाती है। उनकी पूजा की जाती है तथा परिवार की महिलाएं इसके इर्द-गिर्द नाचती हुई तालियां बजाती हैं। रात को गणेशजी और श्रावण देवता की मूर्ति बनाई जाती है। बच्चे वामन अवतार के पूजन के गीत गाते हैं। पूजा-अर्चना के बाद मूर्ति विसर्जन किया जाता है।

ओणम में बनते हैं स्वादिष्ट पकवान

ओणम के नजदीक आते ही महिलाएं ढ़ेर सारी तैयारियां करना शुरू कर देती हैं। इस प्रसिद्ध त्यौहार के लिए कई तरह के पकवान भी बनाए जाते हैं। लोग इसके लिए ओणम लंच का भी आयोजन करते हैं और अपने करीबी दोस्तों और जानकारों को खाने पर बुलाते हैं। इन स्वादिष्ट पकवानों में स्पेशल पूजा वाली खीर (आडाप्रधावन) के साथ खिचड़ी करेला, खिचड़ी बीटरुट, अवियल, पुलिस्सेरी, दाल, साम्भर, दही, घी, आमदूध और चावल का खीर, केला, केला चिप्स, पापड़ सहित लगभग 27 तरह के दक्षिण भारतीय पकवान शामिल होते हैं।

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