निर्जला एकादशी को भीम एकादशी भी कहते हैं। इस साल निर्जला एकादशी 2 जून को पड़ रही है। हिन्दू धर्म में एकादशी को सबसे महत्वपूर्ण बताया गया है। इस दिन लोग भगवान विष्णु के प्रिय एकादशी का व्रत करते हैं। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं।
निर्जला एकादशी को साल की कुछ महत्वपूर्ण एकादशी में गिना जाता है। मान्यताओं के अनुसार निर्जला एकादशी का व्रत ऐसा है जिसे करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं। हलांकि दिन भर प्यासे रहने वाला ये व्रत बहुत कठिन होता है।
माना जाता है कि साल भर की सभी एकादशियों का फल केवल एक दिन के इस एकादशी व्रत को करने से मिलता है। ऐसी भी मान्यता है कि इसे महाभारत काल में पांडु पुत्र भीम ने किया था। विशेष व्रत कथा के बिना भीम एकादशी का व्रत पूरा नहीं होता।
इस व्रत को हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार एक साल में कुल 24 एकादशियां पड़ती हैं। सभी एकादशी में भगवान विष्णु की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है लेकिन निर्जला एकादशी करने से सभी एकादशियों का फल साधक को मिलता है।
निर्जला एकादशी तिथि - 2 जून 2020एकादशी तिथि प्रारम्भ - 1 जून दोपहर 2 बजकर 57 मिनट परएकादशी तिथि समाप्त - 2 जून को दोपहर 12 बजकर 4 मिनट पर
निर्जला एकादशी की व्रत कथा
पौराणिक कथा की मानें तो महाभारत काल के समय एक बार पाण्डु पुत्र भीम ने महर्षि वेद व्यास जी से पूछा कि मेरे परिवार के सभी लोग एकादशी व्रत करते हैं और मुझे भी व्रत करने के लिए कहते हैं। लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता हूं अत: आप मुझे कृपा करके बताएं कि बिना उपवास किए एकादशी का फल कैसे प्राप्त किया जा सकता है।
भीम के अनुरोध पर वेद व्यास जी ने कहा कि तुम ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन निर्जल व्रत करो। इस दिन अन्न और जल दोनों का त्याग करना पड़ता है। जो भी मनुष्य एकादशी तिथि के सूर्योदय से द्वादशी तिथि के सूर्योदय तक बिना पानी पीये रहता है और सच्ची श्रद्धा से निर्जला व्रत का पालन करता है।
साल में जितनी एकादशी आती हैं उन सब एकादशी का फल इस एक एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। तब भीम ने व्यास जी की आज्ञा का पालन कर निर्जला एकादशी का व्रत किया था। तब से ये भीम एकादशी या निर्जला एकादशी का व्रत किया जाता है।