Nirjala Ekadashi 2019: शुभ मुहूर्त, पूजा का समय और इसका महत्व, निर्जला एकादशी के बारे में जानें सबकुछ
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: June 13, 2019 08:05 IST2019-06-12T13:55:43+5:302019-06-13T08:05:01+5:30
निर्जला एकादशी के दिन साधक पूरे मन से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। वे भगवान को तुलसी के पत्ते, फूल, फल और मिठाई आदि चढ़ाते हैं। आप पास के किसी मंदिर भी जा सकते हैं।

निर्जला एकादशी 2019
भगवाण विष्णु के लिए समर्पित निर्जला एकादशी व्रत हिंदू धर्म के लोगों के लिए सबसे कठिन और महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। यह व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष के पहले दिन किया जाता है। इसलिए इसे 'ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है।
निर्जला एकादशी आमतौर पर गंगा दशहरा के बाद मनाया जाता है। वैसे कई बार दोनों त्योहार एक ही दिन पड़ जाते हैं। ऐसी मान्यता है निर्जला एकादशी का व्रत करने से सभी बाधाएं दूर होती हैं और साल भर की सभी एकादशियों का फल केवल एक दिन के इस व्रत को करने से मिलता है। निर्जला का अर्थ होता 'बिना पानी के', और इसलिए इस दिन साधव बिना पानी और अन्न के उपवास रखता है।
निर्जला एकादशी 2019: तारीख और समय
एकादशी 12 जून को शाम 6.27 से शुरू हो जाएगा और यह अगले दिन यानी शाम 4.49 बजे खत्म होगा। ऐसे में इसके लिए आपको उपवास 13 जून को रखना होगा।
निर्जला एकादशी 2019: कैसे करें ये कठिन व्रत
निर्जला एकादशी के दिन साधक पूरे मन से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। वे भगवान को तुलसी के पत्ते, फूल, फल और मिठाई आदि चढ़ाते हैं। आप पास के किसी मंदिर भी जा सकते हैं। निर्जला एकादशी करने वालों को पूरी रात जागना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए।
वैसे, इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ दूसरे लोगों को पानी पिलाने का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि आप इस दिन अगर लोगों और दूसरे जीव को पानी पिलाते हैं तो आपको पूरे व्रत का ही फल मिल जाता है।
निर्जला एकादशी करने वाले साधक को तड़के उठकर स्नान कर भगवान विष्णु के सामने व्रत का संकल्प करना चाहिए। इसके बाद पूजन शुरू करें। भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। ऐसे में उन्हें पीले फल, पीले फूल, पीले पकवान आदि का भोग लगाएं। दीप जलाएं और आरती करें। इस दिन दान का भी विशेष महत्व है।