नवरात्रि का सातवां दिन कालरात्रि: जानें क्यों और कैसे पड़ा मां का नाम कालरात्रि, तंत्रों की देवी के रूप में होती है पूजा
By मेघना वर्मा | Published: October 16, 2018 07:48 AM2018-10-16T07:48:49+5:302018-10-16T09:30:45+5:30
7th Day of Navratri 2018 Maa Kalaratri:मां कालरात्रि की पूजा के लिए भी एक विशेष समय होता है। इनकी पूजा सुबह 4 बजे से 6 बजे तक करनी चाहिए।
नवरात्रि सातंवे दिन मां के कालरात्रि स्वरूपक की पूजा की जाती है। इस देवी को तंत्रों की देवी के रूप में भी पूजा जाता है। मान्यता है कि ये देवी काल का नाश करती हैं इसलिए इन्हें कालरात्रि बुलाया जाता है। मगर मां के नाम के पीछे भी एक अलग ही कहानी है। आज हम आपको बताएंगे क्या है मां के इस नाम के पीछे की कहानी और कैसा है मां का स्वरूप साथ ही जानें कि कैसे होती है मां कालरात्रि की पूजा।
कैसा है मां कालरात्रि का स्वरूप
नवरात्रि के सांतवे दिन देवी कालरात्रि की उपासना की जाती है। मां कालरात्रि का स्वरूप अत्यंत भयानक है। इनका वर्ण काला है और केश बिखरे हुए। कंठ में एक तेज चमकती हुई माला है। मां कालरात्रि के तीन नेत्र हैं जो ब्रह्माण की तरह विशाल हैं। कालरात्रि मां का स्वरूप भय उत्पन्न करने वाला है। मान्यता है कि कालरात्रि मां पापियों का नाश करती हैं।
कैसे पड़ा मां का कालरात्रि नाम
पौराणिक कथा की मानें तो भगवान शंकर ने एक बार देवी को काली कह दिया था। बस तभी से मां का नाम कालरात्रि पड़ गया है। मां कालरात्रि के नाम मात्र से ही दानव, भूत, पिशाच आदि सभी भाग जाते हैं। भले ही मां का स्वरूप भयावना हो लेकिन यह सदैव शुभ फल देने वाली होती हैं।
कब करें मां कालरात्रि की पूजा
मां कालरात्रि की पूजा के लिए भी एक विशेष समय होता है। इनकी पूजा सुबह 4 बजे से 6 बजे तक करनी चाहिए। मां की पूजा के लिए लाल रंग के कपड़े पहने। परेशानी में हों तो सात या सौ नींबू की माला देवी को चढ़ाएं। सप्तमी की रात्रि तिल या सरसों के तेल की अखंड ज्योत जलाएं। सिद्धकुंजिका स्तोत्र, अर्गला स्तोत्रम, काली चालीसा, काली पुराण का पाठ करना चाहिए। यथासंभव, इस रात्रि संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
इस मंत्र से करें मां की पूजा
या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: