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महालया 2018: क्यों और किस तरह बंगाली मनाते हैं ये दुर्गा पर्व, जानें अनोखी बातें

By गुलनीत कौर | Updated: October 7, 2018 08:36 IST

Mahalaya festival on 8th October 2018: महालया के लिए विशेष रूप से बंगाली पंडाल सजाए जाते हैं। स्त्रियां नई एवं लाल साड़ियां पहनकर तैयार हो जाती हैं।

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अक्टूबर से लेकर नवंबर का महीना हिन्दू धर्म में त्यौहारों से भरपूर होता है। नवरात्रि, दशहरा, दिवाली, आदि त्यौहार ढेरों खुशियां लाते हैं। लेकिन अश्विन मास के नवरात्रि (शारदीय नवरात्रि) प्रारंभ होने से ठीक पहले आती है श्राद्ध पक्ष की अमावस्या। इसी दिन बंगाली समुदाय द्वारा महालया पर्व भी मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 8 अक्टूबर 2018, दिन सोमवार को है।

ऐसे मनाते हैं महालया

महालया बंगालियों का एक ऐसा पर्व है जो नवरात्रि की शुरुआत को दर्शाता है। इसमें अश्विन मास की अमावस्या की काली रात को सभी तैयार होकर मंदिर जाते हैं और मां दुर्गा की पूजा करते हैं।

मान्यता है कि इसी रात को मां दुर्गा से पृथ्वी पर आने के लिए पार्थना की जाती है। देवी पृथ्वी पर आए और दैत्यों (दुख या संकट) का विनाश कर अपने भक्तों की रक्षा करे, इसकी कामना की जाती है। महालया के माध्यम से भक्त देवी दुर्गा से आशीर्वाद पाते हैं।

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महालया की कथा

आमजन में प्रचलित एक कथा के अनुसार अश्विन मास की अमावस की रात सभी बंगाली एकत्रित होकर देवी दुर्गा की उपासना करते हैं। मंत्रों का उच्चारण करते हुए कैलाश में बैठी देवी दुर्गा को पृथिवी लोक आने के लिए आमंत्रित करते हैं। 

कहा यह भी जाता है कि कैलाश में विराजित दुर्गा अपने भक्तों को वहीं से आशीर्वाद देती हैं। उनका निमत्रण स्वीकार करती हैं और अमावस गुजर जाने के बाद अपनी सवारी पर सवार होकर पृथ्वी लोग के लिए रवाना हो जाती हैं।

महालया की काली रात को बहकत महिषासुर से रक्षा हेतु देवी को पृथ्वी पर आने के लिए विनती करते हैं। मंत्रों और कुछ गीतों के माध्यम से, जैसे कि 'जागो तुमी जागो और बाजलो तोमर एलोर बेनू', ऐसे ही गीतों को गाते हुए देवी को निमंत्रण देते हैं।

सजते हैं पंडाल

महालया के लिए विशेष रूप से बंगाली पंडाल सजाए जाते हैं। स्त्रियां नई एवं लाल साड़ियां पहनकर तैयार हो जाती हैं। देवी के आगमन दिवस की तैयारियां करती हैं और सभी ओर खुशियों का माहौल होता है। 

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