महाभारत के नायक अर्जुन को आखिर क्यों मिला नपुंसक बन जाने का शाप, क्या है इसके पीछे की कहानी, जानिए

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 22, 2019 09:44 AM2019-07-22T09:44:58+5:302019-07-22T09:44:58+5:30

स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी अर्जुन को देख उन पर मोहित हो गईं। वह एक दिन कामपीड़ित होकर अर्जुन के पास पहुंचीं और उनसे प्रणय निवेदन करने लगीं।

Mahabharat story in hindi when Arjuna cursed by urvashi to become impotent | महाभारत के नायक अर्जुन को आखिर क्यों मिला नपुंसक बन जाने का शाप, क्या है इसके पीछे की कहानी, जानिए

अर्जुन को जब उर्वशी से मिला नपुंसक होने का शाप

Highlightsमहाभारत के युद्ध से पहले स्वर्ग में अर्जुन को मिला था नपुंसक होने का शापस्वर्ग की अप्सरा उर्वशी ने दिया था अर्जुन को नपुंसक होने शाप

महाभारत की कथा में कई ऐसे प्रसंग हैं जो दिलचस्प और हैरान करने वाले हैं। इसी में से एक कहानी अर्जुन को नपुंसक होने का शाप मिलने की भी है। पांच पांडवों में युधिष्ठिर और भीम से छोटे अर्जुन को महाभारत का नायक कहा जाता है। यह और बात है इस काल और महाभारत युद्ध के दौरान पर्दे के पीछे से जो सबसे बड़ी भूमिका निभा रहे थे वे श्रीकृष्ण थे। 

अर्जुन अगर महाभारत के नायक के तौर पर उभरे और युद्ध में कौरव सेना को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने में सफल रहे, तो इसके पीछे श्रीकृष्ण की ही भूमिका अहम रही। वैसे क्या आप जानते हैं कि पांडव-कौरव के युद्ध की भूमिका जब बनने लगी थी और युद्ध करीब-करीब तय माना जाने लगा था, उससे पहले अर्जुन को नपुंसक होने का शाप मिला था।

अर्जुन को स्वर्ग मिला था नपुंसक होने का शाप

महाभारत की कथा के अनुसार जब युद्ध की संभावना को देखते हुए श्रीकृष्ण ने अर्जुन को स्वर्ग जाकर अस्त्र-शस्त्र विद्या में और पारंगत होने सहित और विशेष शस्त्र आदि हासिल करने की सलाह दी। इसे सुनकर अर्जुन स्वर्ग गये। अर्जुन को भगवान इंद्र का भी पुत्र कहा गया है। इसलिए उनका स्वर्ग में खूब सत्कार हुआ और वे वहां कुछ दिन रूके। 

इसी दौरान स्वर्ग की रूपवती अप्सरा उर्वशी अर्जुन को देख उन पर मोहित हो गईं। वह एक दिन कामपीड़ित होकर अर्जुन के पास पहुंचीं और उनसे प्रणय निवेदन करने लगीं। उर्वशी की बात सुन अर्जुन ने कहा, 'आप पूरूवंश की जननी है, ऐसा समझकर मेरे नेत्र खिल उठे थे। इसलिए हे अप्सरा! तुम मेरे विषय में कोई अन्यथा भाव मन में न लाओ। तुम मेरे वंश की वृद्धि करने वाली हो, अतः मेरी माता के समान हो’। आपका भी मेरे मन में वही स्थान है जो माता कुंती, माद्री या फिर माता गांधारी के लिए है।

यह सुनवर उर्वशी फिर अर्जुन को अपने प्रेम में फांसने की कोशिश करती हैं और कहती हैं, हम सब अप्सराओं का किसी से कोई पर्दा नहीं है। पूरूवंश के कितने ही पोते-नाती तपस्या करके यहां आते हैं और वे हम सब अप्सराओं के साथ रमण करते हैं। इसमें कोई अपराध है। हे अर्जुन! तुम्हे देख मेरी काम-वासन जागृत हुई है। मैं कामवेदना पीडित हूं, मेरा त्याग न करो। मुझे अंगीकार करो।'

अर्जुन इसके बावजूद उर्वशी की बात टाल देते हैं। यह देख उर्वशी क्रोधित हो जाती हैं और अर्जुन को नपुंसक होने का शाप देती है। पांडव जब अज्ञातवास काट रहे थे तब अर्जुन इसी नपुंसक होने के शाप के कारण बृहन्नला बनकर अपना असली रूप छिपाते हैं और राजा विराट की कन्या उत्तरा सहित उसकी सखियों को संगीत आदि की शिक्षा देते हैं। पांडव ने अज्ञातवास के दौरान विराट नगर में एक साल सफलतापूर्वक बिताया और दुर्योधन सहित कौरव का कोई भी गुप्तचर उन्हें नहीं खोज सका था।

दरअसल, दुर्योधन ने 13 वर्ष के वनवास के समय शर्त रखी थी कि पांडवों को एक साल का अज्ञातवास बिताना होगा। इसका मतलब ये हुआ कि कौरव उन्हें इस दौरान खोज न सकें। अगर कौरव उन्हें अज्ञातवास में खोजने में कामयाब होते तो पांडवों को और 12 साल वनवास काटना पड़ता।

Web Title: Mahabharat story in hindi when Arjuna cursed by urvashi to become impotent

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