महाशिवरात्रि 2019: शिव के 8 शक्तिशाली मंत्र, हर मंत्र दिलाएगा खास फल, होगी भोले की असीम कृपा
By गुलनीत कौर | Published: February 28, 2019 05:40 PM2019-02-28T17:40:59+5:302019-02-28T17:40:59+5:30
हिन्दू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को समर्पित होता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को ही सृष्टि का प्रारंभ हुआ था। अन्य मान्यताओं के अनुसार इसीदिन भगवान शिव का देवी पार्वती से विवाह हुआ था। वर्ष में 12 शिवरात्रि और एक महाशिवरात्रि आती है।
देवों के देव महादेव, भोलेनाथ, शिव शंभू, भगवान शिव को समर्पित महाशिवरात्रि का पावन पर्व इस साल 4 मार्च, 2019 को पड़ रहा है। हिंदू धर्म में इस पर्व का बेहद महत्व होता है। इस दिन लोग भगवान शिव के लिए उपवास रखते हैं और सच्चे मन से उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव की शादी हुई थी। कुछ जगहों पर इसदिन को शिव के आगमन पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि पर पूर्ण विधि विधान के साथ शिव कीई पूजा की जाती है। विभिन्न पवित्र वस्तुओं को पूजन सामग्री में शामिल किया जाता है। पूजा के अंत में शिवलिंग परिक्रमा भी की जाती है। इन सभी के अलावा पूजा में शिव मंत्र का भी महत्व होता है। अगर आप भी यह सोच रहे हैं कि पूजा के दौरान किस शिव मंत्र का जाप करें तो निम्नलिखित में से कोई भी एक मंत्र चुनें । आपकी पूजा सफल होगी।
शिव के शक्तिशाली मंत्र:
1) ॐ नमः शिवाय
2) नमो नीलकंठाय
3) ॐ पार्वतीपतये नमः
4) ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय
5) ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा
6) ऊर्ध्व भू फट्
7) इं क्षं मं औं अं
8) प्रौं ह्रीं ठः
महाशिवरात्रि 2019 महासंयोग
इस वर्ष महाशिवरात्रि पर दो शुभ संयोग बन रहे हैं। इन संयोगों के कारण इस बार की महाशिवरात्रि को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। पहला संयोग यह कि महाशिवरात्रि इस बार सोमवार को है। सोमवार का दिन भगवान शिव का ही दिन माना जाता है। जिस वजह से महाशिवरात्रि को बेहद खास माना जा रहा है।
दूसरा संयोग यह कि कई वर्षों के बाद इस साल महाशिवरात्रि पर श्रेष्ठ श्रवण नक्षत्र बन रहा है। यह एक ऐसा नक्षत्र है जिसमें भगवान शिव की उपासना करना बेहद शुभ माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस नक्षत्र में शिव पूजा करने से मनोकामना जल्द से जल्द पूरी होती है।
क्यों मनाते हैं महाशिवरात्रि
ज्योतिर्विद पं दिवाकर त्रिपाठी पूर्वांचली ने बताया कि मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव अर्ध रात्रि में ब्रह्मा जी के अंश से लिंग रूप में प्रकट हुए थे। कई जगहों पर मान्यता है कि इसी दिन भोले नाथ का गौरी माता से विवाह भी हुआ था। पूरे भारत में यह पर्व शिव के जन्मोत्सव के साथ शिव-पार्वती के विवाह की खुशियों के रूप में भी मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि व्रत, पूजा महत्व
महाशिवरात्रि के दिन नीलकंठ महादेव के भक्त उनके लिए व्रत रखते हैं। साल में कई शिवरात्रि मनाई जाती हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण महाशिवरात्रि है जो फाल्गुन के महीने में आती है। महाशिवरात्रि पर उनके भक्त 'ओम नम: शिवाय' का जाप करते हैं। इस दिन दूध, दही, घी, चंदन और शहद से शिवलिंग पर लेप किया जाता है।