Maha Kumbh 2025: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ शुरू होने वाला है। महाकुंभ में देश-विदेश से श्रद्धालु पवित्र नदी में डुबकी लगाने आते हैं। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, कुंभ मेले में पवित्र नदी में स्नान किया जाता है और पूजा-अर्चना की जाती है।
हालांकि, अगर आप इस साल प्रयागराज कुंभ मेले में जाने की योजना बना रहे हैं तो सिर्फ कुंभ नहीं बल्कि इन मंदिरों के दर्शन जरूर करें। आइए बताते हैं आपको इन मंदिरों के बारे में सबकुछ...
1- संकटमोचन हनुमान मंदिर
यह मंदिर प्रयागराज में गंगा तट पर स्थित है। इसे लथे हुए हनुमान मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि हर साल मां गंगा सबसे पहले लथे हुए हनुमान को स्नान कराती हैं। इस मंदिर में दर्शन करने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। हनुमान जी की यह विचित्र मूर्ति 20 फीट ऊंची है।
2- पातालपुरी मंदिर
इस मंदिर में भगवान अपने अर्धनारीश्वर स्वरूप में विराजमान हैं और तीर्थों के राजा प्रयाग की मूर्ति भी यहां स्थापित है। यहां शनिदेव को समर्पित एक अखंड ज्योति है, जो 12 महीने जलती रहती है।
3- नागवासुकी मंदिर
इस मंदिर में नागों के राजा वासुकी विराजमान हैं। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि प्रयागराज आने वाले तीर्थयात्रियों की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है, जब तक वे नागवासुकी मंदिर के दर्शन नहीं कर लेते।
4- वेणी माधव मंदिर
इस मंदिर में स्थापित वेणी माधव की मूर्ति प्रयागराज की प्रथम देवी मानी जाती है। यह मंदिर दरगंज में स्थित है। मान्यता है कि प्रयागराज की रक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करने के बाद ब्रह्मा जी ने इसकी स्थापना की थी।
5- सरस्वती कूप और अक्षय वट
आप यहां मौजूद अक्षयवट और सरस्वती कूप के भी दर्शन कर सकते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां चार युगों से बरगद का पेड़ मौजूद है। कहा जाता है कि अपने वनवास के दौरान त्रेता युग में भगवान श्रीराम, माता सीता और भाई लक्ष्मण यहां आए थे और इसी पेड़ के नीचे विश्राम किया था।
इन मंदिरों के दर्शन करने से महाकुंभ का अनुभव और भी खास हो जाएगा। इन मंदिरों के दर्शन करने से हमें न केवल आध्यात्मिक शांति मिलेगी, बल्कि इस स्थान की सांस्कृतिक विरासत का भी अनुभव प्राप्त होगा।