Jyeshtha Amavasya 2024: कब है ज्येष्ठ अमावस्या? नोट कर लें डेट और दान-स्नान का शुभ मुहूर्त
By रुस्तम राणा | Updated: May 28, 2024 14:14 IST2024-05-28T14:14:12+5:302024-05-28T14:14:12+5:30
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि के दिन सनातन धर्म के दो बड़े त्योहार भी मनाए जाते हैं। पहला तो इस तिथि पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है। दूसरा इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है।

Jyeshtha Amavasya 2024: कब है ज्येष्ठ अमावस्या? नोट कर लें डेट और दान-स्नान का शुभ मुहूर्त
Jyeshtha Amavasya 2024: हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। यह तिथि पितृ पूजन के लिए होती है। इसलिए इस दिन गंगा स्नान, पित्तरों के निमित्त तर्पण, श्राद्ध कर्म, दान-पुण्य आदि कार्य किए जाते हैं। हर माह में अमावस्या तिथि आती है। अभी हिन्दू पंचांग का ज्येष्ठ मास चल रहा है और ज्येष्ठ अमावस्या 06 जून, गुरुवार को पड़ रही है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि के दिन सनातन धर्म के दो बड़े त्योहार भी मनाए जाते हैं। पहला तो इस तिथि पर वट सावित्री व्रत रखा जाता है। दूसरा इस दिन शनि जयंती भी मनाई जाती है।
ज्येष्ठ अमावस्या तिथि व मुहूर्त
अमावस्या तिथि आरंभ- 5 जून, बुधवार को शाम 7 बजकर 54 मिनट
अमावस्या तिथि समाप्त- 6 जून, गुरुवार को शाम 6 बजकर 07 मिनट
गंगा स्नान का शुभ मुहूर्त - सुबह 4 बजे से लेकर सुबह 7 बजे तक
पितृ पूजा का शुभ मुहूर्त - सुबह 11 बजकर 30 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजे तक
ज्येष्ठ अमावस्या की पूजा विधि
सुबह उठकर स्नान आदि करें।
सूर्य देव को अर्घ्य जरूर दें। इसके बाद बहते जल में तिल प्रवाहित करें।
पीपल के पेड़ को जल का अर्घ्य दें।
आज के दिन शनि देव की पूजा जरूर करें।
शनि का पाठ या मंत्र-जाप भी कर सकते हैं।
पूजा के बाद दान-दक्षिणा जरूर करें।
ज्येष्ठ अमावस्या को मनाई जाती है शनि जयंती
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। धार्मिक दृष्टि से शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। इस दिन लोग शनि देव को मनाने के लिए के लिए उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। शनि दोष से बचने के लिए भी उपाय किए जाते हैं।
सौभाग्य प्राप्ति के लिए महिलाएं रखती हैं वट सावित्री व्रत
ज्येष्ठ अमावस्या पर विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए इस दिन वट सावित्री व्रत भी रखती हैं। इसलिए उत्तर भारत में तो ज्येष्ठ अमावस्या विशेष रूप से सौभाग्यशाली एवं पुण्य फलदायी मानी जाती है।
ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व
अमावस्या पर पूर्वजों के नाम तर्पण व दान करना भी शुभ माना जाता है। दरअसल, शास्त्रों में पितरों के श्राद्ध कर्म और तपर्ण के लिए अमावस्या की तिथि सबसे उत्तम मानी जाती है। हर अमावस्या का अपना अलग- अलग महत्व होता है, लेकिन ज्येष्ठ मास की अमावस्या कई मायनो में बहुत खास मानी जाती है। इस दिन शनि जयंती, वट सावित्री जैसे पर्व मनाये जाते हैं। ज्येष्ठ अमावस्या पर भगवान विष्णु और शनिदेव की पूजा की जाती है। इस दिन काले तिल का दान, काले रंग के वस्त्र, काले रंग का छाता, जूते चप्पल का दान करना उत्तम फलदायी माना जाता है।