Janmashtami 2025: 15 या 16 अगस्त को, कब है जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा का समय और सबकुछ
By रुस्तम राणा | Updated: August 11, 2025 20:27 IST2025-08-11T20:27:50+5:302025-08-11T20:27:56+5:30
हिंदू धर्म के अनुसार, श्री हरि के आठवें अवतार भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।

Janmashtami 2025: 15 या 16 अगस्त को, कब है जन्माष्टमी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा का समय और सबकुछ
Janmashtami 2025:भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव पर हर साल दुनिया भर में जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार, श्री हरि के आठवें अवतार भगवान कृष्ण का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। भगवान कृष्ण को हिंदू धर्म में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक माना जाता है। उन्हें दिव्यता, प्रेम और धार्मिकता का प्रतीक भी माना जाता है। कृष्णाष्टमी के नाम से भी प्रसिद्ध, भक्त इस त्योहार को 'गोकुलाष्टमी', 'अष्टमी रोहिणी', 'श्रीकृष्ण जयंती' और 'श्री जयंती' नामों से मनाते हैं। जन्माष्टमी उत्तर प्रदेश के मथुरा, गुजरात, राजस्थान, असम और मणिपुर में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। यह दुनिया भर में भी बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है।
जन्माष्टमी 2025: तिथि और समय
इस साल जन्माष्टमी किस तारीख को मनाई जाएगी, इसे लेकर बहुत से लोगों में असमंजस की स्थिति है। हालाँकि, हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11.49 बजे शुरू होगी और 16 अगस्त को रात 9.24 बजे तक रहेगी। साथ ही, इसी समय 17 अगस्त को सुबह 04.38 बजे रोहिणी नक्षत्र भी शुरू हो जाएगा। ऐसे में जन्माष्टमी पर्व 16 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
जन्माष्टमी 2025: पूजा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, पूजा का शुभ मुहूर्त 16 अगस्त को दोपहर 12:04 बजे से 12:45 बजे तक रहेगा। जन्माष्टमी की रात भगवान कृष्ण की विधि-विधान से पूजा की जाती है। हालाँकि, व्रत खोलने का समय 17 अगस्त को सुबह 5:51 बजे तक है। चंद्रोदय का समय 16 अगस्त को रात 11:32 बजे बताया गया है।
जन्माष्टमी 2025: महत्व
हर साल, भगवान कृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में जन्माष्टमी मनाई जाती है। इसमें उनके बालरूप की पूजा की जाती है। इस दिन, भक्त उपवास रखते हैं, प्रार्थना करते हैं, ध्यान करते हैं और भक्ति गीत (भजन) गाते हैं। इसके अलावा, कई मंदिरों में कृष्ण के जीवन की घटनाओं को जीवंत करने वाले भव्य समारोह आयोजित किए जाते हैं।