सबरीमाला विवाद पर केरल में आज बंद का ऐलान, जानें क्या है स्वामी अयप्पा के मंदिर का इतिहास

By मेघना वर्मा | Updated: January 3, 2019 08:53 IST2019-01-03T08:49:31+5:302019-01-03T08:53:42+5:30

सबरीमाला मंदिर विवाद: मंदिर तक जाने वाली 8 सीढ़ियों का काफी महत्व है। इनमें से 5 सीढ़ियां पांच इंद्रियों को दर्शाती है और बाकी 3 काम, क्रोध और लोभ को दर्शाती हैं। 

history and lesser known facts about of Sabarimala Temple and sabrimala temple issue | सबरीमाला विवाद पर केरल में आज बंद का ऐलान, जानें क्या है स्वामी अयप्पा के मंदिर का इतिहास

सबरीमाला विवाद पर केरल में आज बंद का ऐलान, जानें क्या है स्वामी अयप्पा के मंदिर का इतिहास

केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के दर्शन करने पर लगातार विवाद बना हुआ है। आपको बता दें केरल की इस मंदिर में 10 से 50 साल तक की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर मनाही थी। सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने सभी आयु वर्ग की महिलाओं को सबरीमला स्थित अयप्पा स्वामी मंदिर में प्रवेश की अनुमति दे दी थी। जनवरी की दो तारिख को जब दो महिलाओं ने मंदिर के दर्शन किया तो एक बार फिर इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया। बताया तो ये भी गया कि मंदिर के शुद्धीकरण के लिए फिर से बंद कर दिया गया था। इसी के विरोध प्रदर्शन में आज यानी तीन जनवरी को पूरे केरल बंद का ऐलान किया गया है। आइए आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला, मंदिर की खासियत और कौन हैं स्वामी अयप्पा।  

सबरीमाला मंदिर को भारत की सबसे पवित्र मंदिर कहा जाता है। स्वामी अयप्पा के इस मंदिर के दर्शन के लिए हर साल करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचते हैं। इस मंदिर की सबसे ज्यादा चर्चा इसलिए होती थी कि इस मंदिर  में 10 से 50 साल तक की महिलाओं को जाने की इजाजत नहीं थी। मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि 1500 साल से इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर बैन हैं। मगर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले के बाद अब हर वर्ग उम्र की महिलाएं बिना किसी रोक-टोक के मंदिर दर्शन कर सकती हैं। 

 

साल में 2 बार खुलते हैं मंदिर के कपाट

मंदिर की आस्था इस बाद से समझी जा सकती है कि बिना किसी जाति-पात के इस मंदिर में कोई भी दर्शन के लिए आ सकता है। हलांकि पहले महिलाओं के आने पर यहां प्रतिबंध था मगर अब किसी भी वर्ग उम्र की महिलाएं यहां दर्शन के लिए आ सकती हैं। इस मंदिर के कपाट साल में सिर्फ 2 बार के लिए खुलते हैं। पहला 15 नवंबर और दूसरी बार 14 जनवरी यानी मकर संक्रान्ती के दिन। इन दोनों ही दिनों में लाखों की संख्या में लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। 

दिव्य ज्योति के होते हैं दर्शन

इस मंदिर में आने वाले भक्तों को मंदिर में दिव्य ज्योति के दर्शन भी होते हैं। ये भगवान अयप्पा का होने का स्वरूप बताती है। इस दिव्य ज्योति को माकरा विलाकू कहते हैं। मंदिर तक जाने वाली 8 सीढ़ियों का काफी महत्व है। इनमें से 5 सीढ़ियां पांच इंद्रियों को दर्शाती है और बाकी 3 काम, क्रोध और लोभ को दर्शाता है। 

शिव और मोहनी के पुत्र थे स्वामी अयप्पा

अयप्पा को हरिहरपुत्र के नाम से भी जाना जाता है। यह भगवान विष्णन और हर यानी शिव के पुत्र बताये जाते हैं। हरी के मोहनी रूप को ही अयप्पा कहा जाता है। सबरीमाला नाम रामायण में शबरी से रखा गया है। इस मंदिर की असली रौनक मंडला पूजा के दिन देखने को मिलती है। साउथ के इस सबसे फेमस फेस्ट में देश और विदेश हर जगह से लोग आते हैं। 

18 पहाड़ियों के बीच में बना है मंदिर

ये सबरीमाला का मंदिर 18 पहाड़ियों के बीच में बसा है। इस मंदिर को सबरीमाला श्रीधर्मषष्ठ मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर में बहुत से भक्त नंगे पैरों की यात्रा करके यहां तक आते हैं। इस मंदिर में आने वाले लोग कुछ दिनों पहले से ही मांस-मदिरा का सेवन भी बंद कर देते हैं।

Web Title: history and lesser known facts about of Sabarimala Temple and sabrimala temple issue

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