Hariyali Teej 2020: 108 जन्मों की अराधना के बाद माता पार्वती का शिव से हुआ पुनर्मिलन, पढ़ें हरियाली तीज की व्रत कथा

By गुणातीत ओझा | Published: July 23, 2020 10:04 AM2020-07-23T10:04:37+5:302020-07-23T10:04:37+5:30

आज हरियाली तीज है। यह त्योहार पंजाब सहित हरियाणा, चंडीगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में खूब धूमधाम से मनाया जाता है।

Hariyali Teej 2020 vrat katha when Goddess Parvati took 108 rebirths to be Lord Shiva s wife | Hariyali Teej 2020: 108 जन्मों की अराधना के बाद माता पार्वती का शिव से हुआ पुनर्मिलन, पढ़ें हरियाली तीज की व्रत कथा

पढ़ें हरियाली तीज की व्रत कथा।

Highlightsभगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है हरियाली तीजमान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए 108 बार पुनर्जन्म लिए

सावन के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ने वाले हरियाली तीज का त्योहार जितना प्रचलित है, उतनी ही दिलचस्प इससे जुड़ी पौराणिक कथा भी है। यह त्योहार नागपंचमी के दो दिन पहले पड़ता है। सावन के महीने में हर ओर मौसम खुशनुमा हो जाता है और हरियाली छाई रहती है। इसलिए इस माह में पड़ने वाले तीज के इस त्योहार को हरियाली तीज का नाम दिया गया है।

यह त्योहार पंजाब सहित हरियाणा, चंडीगढ़ और राजस्थान जैसे राज्यों में खूब धूमधाम से मनाया जाता है।  हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत महत्व रखता है। महिलाएं इस दिन श्रृंगार करती हैं और व्रत रखती हैं। इस व्रत में महिलाएं पति की लंबी उम्र के साथ-साथ घर और परिवार में खुशहाली की कामना करती हैं। आईए, जानते हैं हरियाली तीज से जुड़ी पौराणिक कथा...

Hariyali Teej: हरियाली तीज की कथा 

हरियाली तीज उत्सव को भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या से माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। ऐसी मान्यता है कि माता पार्वती ने भगवान शिव की अर्धांगिनी बनने के लिए 108 बार पुनर्जन्म लिए। माता पार्वती को ही तीज माता भी कहते हैं। 

हरियाली तीज की कथा भगवान शंकर ने माता पार्वती को उनके पूर्वजन्म की घटनाओं से अवगत कराने के लिए सुनाई थी। यह इस प्रकार है.. 

भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं- पार्वती के रूप में हिमालय के घर तुमने पुनर्जन्म लिया था। हे देवी! तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए वर्षों कठिन तप किये। इस दौरान तुमने सिर्फ सुखे पत्तों से अपना जीवन बिताया। धूप, गर्मी, बारिश, सर्दी हर मौसम में तुम्हारा तप जारी रहा। इससे तुम्हारे पिता पर्वतराज हिमालय काफी दुखी थी। इसी दौरान एक दिन नारद जी पहुंचे और पर्वतराज से कहा कि पार्वती के तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु उनसे विवाह करना चाहते हैं। यह सुन हिमालय बहुत प्रसन्न हुए। दूसरी ओर नारद मुनि विष्णुजी के पास पहुंच गये और कहा कि हिमालय ने अपनी पुत्री पार्वती का विवाह आपसे कराने का निश्चय किया है। इस पर विष्णुजी ने भी सहमति दे दी।

नारद इसके बाद माता पार्वती के पास पहुंच गये और बताया कि पिता हिमालये ने उनका विवाह विष्णु से तय कर दिया है। यह सुन पार्वती बहुत निराश हुईं और पिता से नजरें बचाकर सखियों के साथ एक एकांत स्थान पर चली गईं।

घने और सूनसान जंगल में एक गुफा में पहुंचकर माता पार्वती ने एक बार फिर तप शुरू किया। उन्होंने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और उपवास करते हुए पूजन शुरू किया। भगवान शिव इस तप से प्रसन्न हुए और मनोकामना पूरी करने का वचन दिया। इस बीच माता पार्वती के पिता पर्वतराज हिमालय भी वहां पहुंच गये। वह सत्य बात जानकर माता पार्वती की शादी भगवान शिव से कराने के लिए राजी हो गये।

शिव इस कथा में बताते हैं कि बाद में विधि-विधान के साथ पार्वती के साथ विवाह हुआ। शिव कहते हैं, 'हे पार्वती! तुमने जो कठोर व्रत किया था उसी के फलस्वरूप हम दोनों का विवाह हो सका। इस व्रत को निष्ठा से करने वाली स्त्री को मैं मनवांछित फल देता हूं।'

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