लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त 5.40 बजे से, आग में चुपके से डाल देना ये 4 चीजें, हमेशा बनी रहेगी शांति-समृद्धि
By उस्मान | Published: January 13, 2020 04:17 PM2020-01-13T16:17:09+5:302020-01-13T16:23:02+5:30
आपने नोटिस किया होगा कि लोग लोहड़ी वाली रात को लकड़ियां इकठ्ठा करके उनमें आग लगाते हैं और फिर उसमें रेवड़ी, गजक और मूंगफली डालते हैं।
लोहड़ी एक लोकप्रिय त्योहार है जिसे सिख धर्म के पंजाबी लोग और हिंदू धर्म के लोग मनाते हैं। लोहड़ी मुख्य रूप से सिख त्योहार है लेकिन लोहड़ी का दिन हिंदू कैलेंडर के आधार पर तय किया जाता है। लोहड़ी हिंदू त्यौहार मकर संक्रांति से निकटता से जुड़ा हुआ है और इसे एक दिन पहले मनाया जाता है।
भारतीय कैलेंडर के अनुसार, लोहड़ी पौष माह में आती है। लेकिन ग्रेगोरियन कैलेंडर में 13 जनवरी की तारीख का उल्लेख है। यह त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है, जिसे माघी भी कहा जाता है जो गर्मियों की शुरुआत का स्वागत करता है। लूणी सौर बिक्रम कैलेंडर के सौर भाग के अनुसार, त्योहार आमतौर पर हर साल एक ही तारीख को मनाया जाता है। लीप वर्षों के दौरान, लोहड़ी 12 या 14 जनवरी को मनाई जाती है।
लोहड़ी के मौके पर लोग एक दूसरे के घर जाते हैं और नाच गाकर पर्व मनाते हैं इस दिन दुल्ला भट्टी के साथ पंजाबी लोक गीतों को गाये जाने की परंपरा है। लोग ढोल बजवाकर नाच गाना करते हैं। लकडिय़ों को घर के आगे एकत्रित कर लोहड़ी जलायी जाती है, इस अग्नि में तिल, गुड़ और मक्का की आहूति देकर पूजा जाता है। सभी नाच-गाकर लोहड़ी का पर्व मनाते हैं।
लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त
लोहड़ी जलाने का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 40 मिनट से शाम 7 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
लोहड़ी की आग में क्यों डाली जाती है रेवड़ी, गजक और मूंगफली
आपने नोटिस किया होगा कि लोग लोहड़ी वाली रात को लकड़ियां इकठ्ठा करके उनमें आग लगाते हैं और फिर उसमें रेवड़ी, गजक और मूंगफली डालते हैं। क्या आप जानते हैं कि लोहड़ी की आग में रेवड़ी, गजक और मूंगफली क्यों डाली जाती है।
ऐसा माना जाता है कि लोहड़ी की आग में रेवड़ी, मूंगफली और गजक जैसी सामग्री डालना बेहद शुभ होता है। इस सामग्री को तिलचौली कहा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार, जिस तरह होलिका दहन में कुछ चीजों को डालने से भगवान अग्निदेव प्रसन्न होते हैं, उसी तरह लोहड़ी की पवित्र आग में तिल, गजक, रेवड़ी जैसी चीजें डालने से भी होते हैं।
ऐसी मान्यता है कि अग्नि में समर्पित की गई सामग्री देवताओं तक पहुंचती है। यही वजह है कि इन चीजों को आग में डालकर भगवान से धनधान्य होने की मनोकामना मांगी जाती है और अग्निदेव से अगले साल के लिए कृषि उन्नत होने की कामना की जाती है। अग्नि की प्रार्थना करने से लोगों के जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता आती है और बुराई का अंत होता है।