गुरु नानक पुण्यतिथि: सिख धर्म के संस्थापक के देहांत पर हिन्दू और मुस्लिम में हो गया था झगड़ा, आगे जो हुआ उसे चमत्कार ही कहेंगे

By गुलनीत कौर | Published: October 3, 2018 04:01 PM2018-10-03T16:01:00+5:302018-10-03T16:01:00+5:30

Guru Nanak Dev Ji Death Anniversary: Date, Significance, Untold Story of Guru Nanak Dev (गुरु नानक पुण्यतिथि): हिन्दू, सिख, मुस्लिम, सभी गुरु नानक देव जी को अपना गुरु मानते थे और उन्हें आदर्शों पर चलते थे।

Guru Nanak Dev Ji Death Anniversary: Date, Significance, real story of Guru Nanak | गुरु नानक पुण्यतिथि: सिख धर्म के संस्थापक के देहांत पर हिन्दू और मुस्लिम में हो गया था झगड़ा, आगे जो हुआ उसे चमत्कार ही कहेंगे

Guru Nanak Dev Ji Death Anniversary: Date, Significance, Untold Story of Guru Nanak Dev (गुरु नानक पुण्यतिथि)

सिख धर्म की स्थापना करने वाले गुरु नानक देव जी का 22 सितंबर, 1539 ईसवी को 'अकाल चलाना' (निधन) हुआ था। सिखों के नानकशाही कैलेंडर के मुताबिक इस साल यह दिन 4 अक्टूबर, 2018 को है। इस मौके पर सिख गुरुद्वारों में कीर्तन और कथा सुनाई जाती है। यहां पढ़ें गुरु जी के अंतिम पलों की एक सच्ची कहानी: 

ये तब की बात है जब गुरु जी करतारपुर (मौजूदा पाकिस्तान) में अपने शिष्यों के साथ बैठे थे। उन्होंने सबको बताया कि उनका समय अब करीब है और अब किसी भी क्षण वे इस मानवीय शरीर का त्याग करके 'अकाल चलाना' (ईश्वर की गोद में जाना) कर जाएंगे।

गुरु जी की बात सुन संगत में निराशा की लहर दौड़ पड़ी। सभी उदास हो गए। गुरु जी ने सिख गुरु गद्दी के अगले हकदार, गुरु अंगड़ा देव जी को जिम्मेदारी सौंपी और उन्हें सिखों के दूसरे नानक के रूप में नवाजा। उन्हें खुद से लिखी गई गुरुबाणी की 'पोथी' सौंपी और सभी जिम्मेदारियों से परिचित कराया। 

गुरु जी की संगत उदास थी, लेकिन वहीं कुछ लोग इस बात से चिंतित हो उठे कि गुरु जी को अंतिम विदाई किस तरह दी जाएगी। हिन्दू और सिखों ने कहा कि उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाना चाहिए। लेकिन वहीं गुरु जी के मुस्लिम श्रद्धालुओं ने यह मांग की कि उनका भी गुरु जी पर बराबर का हक है और इसलिए गुरु जी के पार्थिव शरीर को दफनाया जाना चाहिए। 

यह बहस बढ़ गई, हिन्दू, सिख, मुस्लिमों में झगड़े की नौबत आ गई। जब इस झगड़े को कोई रुख ना मिला तो सभी अपनी बात लेकर गुरु जी के पास ही गए। गुरु जी ने शांतिपूर्वक सारी बात सुनी। वे मुस्कुराए और संगत से कहा कि गुरु कहीं नहीं जा रहे, केवल शरीर का त्याग होगा। 

उन्होंने संगत को 'ज्योति ज्योत' का महत्व समझाया। गुरु जी ने कहा कि मृत्यु पश्चात शरीर केवल मिट्टी सामान है, यदि कुछ महत्वपूर्ण है तो वह है मेरे अन्दर की वो ज्योति जो मैं आगे आने वाले गुरु को सौंप कर जा रहा हूं।

इतना कहते हुए गुरु जी ने हिन्दू, सिख, मुस्लिम, सभी से कहा कि जाकर ताजा फूल लेकर आएं। गुरु जी की आज्ञा पाकर सब ताजा और खुशबूदार फूल लेकर वापस लौटे। अब गुरु जी अपने बिस्तर पर सीधे लेट गए। इसके बाद उन्होंने सिख और हिन्दू संगत से कहा कि वे उनके दाहिनी ओर फूल बिछा दें। मुस्लिम भाईयों से कहा कि वे बाईं ओर फूलों को बिछा दें। 

गुरु जी ने जैसा कहा, सभी ने वैसा ही किया। इसके बाद गुरु जी ने उनसे निवेदन किया कि एक सफेद चादर को उनके ऊपर डालकर उन्हें ढक दिया जाए। साथ ही कहा कि इसके बाद सब यहां से चले जाएं और सुबह होने तक कोई भी अन्दर ना आए। 

और सुबह जब भी वे अन्दर आएं, तो जिन्हें अपने रखे फूल सुबह तक भी ताजा मिलें वे अपने हिसाब से उनके अंतिम विदाई दें। अगर दाहिनी ओर रखे फूल ताजा हुए तो हिन्दू, सिख उनका अंतिम संस्कार कर लें। लेकिन अगर बाईं ओर के फूल ताजा रहे तो उन्हें दफना दिया जाए।

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यह सुन सभी ने गुरु जी को अंतिम विदाई दी और बाहर चले गए। सुबह होते ही सभी कमरे में फिर से आए। सफेद चादर को हटाया तो सभी की आंखें चौंधिया गईं। उन्होंने देखा कि चादर के नीच नानक का शरीर नहीं था। और दोनों तरफ बिछाए गए फूल बिलकुल पहले की तरह ही ताजे और खुशबूदार थे। 

इन फूलों को गुरु जी की आख़िरी निशानी समझ कर उन्हें अंतिम विदाई दी गई। सिख, हिन्दुओं ने उनकी याद में एक स्मारक बनवाया। मुस्लिमों ने भी गुरु जी को एक स्मारक समर्पित किया। ये दोनों स्मारक करतारपुर में रावी नदी के किनारे बनाए गए थे। बाढ़ की वजह से कई बार ये स्मारक ध्वस्त हुए और फिर दोबारा भी बनवाए गए। लेकिन सिखों के दिलों में आज भी गुरु जी के उपदेश और गुरु ग्रन्थ साहिब जी में उनकी ज्योति समाई है, ऐसी मान्यता है। 

English summary :
Guru Nanak Dev Ji Death Anniversary 2018: Guru Nanak Dev Ji, who established Sikh religion, was called 'Akal Chalana' (died) on September 22, 1539. According to the Nanakshahi Calendar of Sikhs, this year on 4th October, 2018. On this occasion, Kirtan and narrative are heard in Sikh gurudwaras. Read Untold a true story of Guru ji's last moments:


Web Title: Guru Nanak Dev Ji Death Anniversary: Date, Significance, real story of Guru Nanak

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