लाइव न्यूज़ :

गुरु हरकिशन साहिब प्रकाश उत्सव: सिखों के आठवें गुरु की 363वीं जयंती आज, केवल 5 साल की उम्र में मिली थी बड़ी जिम्मेदारी

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: July 26, 2019 10:20 IST

गुरु हरिराय जी ने अपनी मृत्यु से पहले गुरु हरकिशन को औरंगजेब से नहीं मिलने की सलाह दी। हालांकि, बाद में औरंगजेब के बहुत बुलावे के बाद हरकिशन जी उससे मिलने के लिए राजी हो गये और दिल्ली की ओर बढ़ चले।

Open in App
ठळक मुद्देगुरु हरकिशन साहिब की जयंती आज, सिखों के आठवें गुरु हैं हरकिशन जीहरकिशन जी को केवल 5 साल की उम्र में गुरु की गद्दी सौंप दी गई थी

सिखों के आठवें गुरु श्री गुरु हरकिशन साहिब की आज 363वीं जयंती मनाई जा रही है। सबसे छोटी उम्र में सिखों के गुरु बनाये गये गुरु हरकिशन का जन्म 1656 में कीरतपुर (पंजाब) में हुआ था। हरकिशनजी को जब सिख धर्म की गुरु की गद्दी सौंपी गई तो उनकी उम्र महज 5 साल की थी। उन्हें उनके पिता पिता गुरु हरिराय जी (सिखों के 7वें गुरु) की मृत्यु के बाद 20 अक्टूबर, 1661 को ये जिम्मेदारी सौंप दी गई थी।

गुरु हरकिशन जी का जन्म गुरु हरिराय और माता कृष्णा जी (सुलाखना जी) के यहां हुआ। उस समय दिल्ली में औरंगजेब का शासन था। गुरु हरकिशन जी के पिता, गुरु हरिराय जी के दो पुत्र थे- राम राय और हरकिशन। हालांकि, गुरु हरिराय जी ने राम राय को पहले ही सिख धर्म की मर्यादाओं का उल्लंघन करने के कारण बेदखल कर दिया था। हरिराय जी की मृत्यु के बाद सिख धर्म की बागडोर उनके छोटे बेटे हरकिशन जी को सौंपी गई।

गुरु हरिराय जी ने अपनी मृत्यु से पहले गुरु हरकिशन को औरंगजेब से नहीं मिलने की सलाह दी। हालांकि, बाद में औरंगजेब के बहुत बुलावे के बाद हरकिशन जी उससे मिलने के लिए राजी हो गये और दिल्ली की ओर बढ़ चले। दिल्ली में वे राजा जय सिंह के महल पहुंचे। सिख इतिहास के अनुसार यही वह महल है जिसे आज 'गुरुद्वारा बंगला साहिब' के नाम से जाना जाता है। गुरुजी जब दिल्ली में थे उस समय यहां चेचक की महामारी फैली हुई थी। 

इसे देख वे भी लोगों की सेवा में लग गये और अंत में उन्हें भी इस महामारी ने अपनी चपेट में ले लिया। बहुत कम उम्र में 1664 में हरकिशन जी दुनिया को छोड़ गये। कहते हैं कि निधन के समय उनके मुख से 'बाबा बकाले' शब्द निकले। सिख धर्म से जुड़े लोगों ने इसका मतलब निकाला कि अगले सिख गुरु बकाला से आएंगे। कई महीनों की खोज के बाद अगस्त-1664 में बकाला गांव से गुरु तेग बहादुर जी को नौवें गुरु के तौर पर मान्यता दी गई। 

कहते हैं कि अपने आखिरी क्षणों में सिखों के आठवें गुरु हरकिशन जी ने किसी को दुख नहीं मनाने के निर्देश दिये थे। हरकिशनजी सबसे कम समय 2 साल, 5 महीने और 24 दिन सिखों के गुरु पद पर रहे। दिल्ली में स्थित बंग्ला साहिब गुरुद्वारा इन्हें ही समर्पित है।

टॅग्स :सिखSikh
Open in App

संबंधित खबरें

विश्वपाकिस्तान में 1,817 हिंदू मंदिरों और सिख गुरुद्वारों में से सिर्फ़ 37 ही चालू, चिंताजनक आंकड़ें सामने आए

भारतअसमः एक से ज्यादा शादी किया तो जुर्म?, मुख्यमंत्री हिमंत ने कहा- धर्म से परे और इस्लाम के खिलाफ नहीं?, जानें क्या है कानून

भारतPublic holiday in Delhi: शहीदी दिवस के मौके पर आज दिल्ली में सार्वजनिक अवकाश, जानें क्या खुला क्या बंद रहेगा

भारतपाकिस्तान के ननकाना साहिब गुरुद्वारे गई पंजाबी महिला लापता, जांच में जुटी खुफिया एजेंसियां

विश्वखालिस्तान विरोधी सिख सुखी चहल की मौत, यूएस में रहस्यमय तरीके से मौत पर उठे सवाल

पूजा पाठ अधिक खबरें

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 05 December 2025: आज 4 राशिवालों पर किस्मत मेहरबान, हर काम में मिलेगी कामयाबी

पूजा पाठPanchang 05 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठPanchang 04 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 04 December 2025: आज वित्तीय कार्यों में सफलता का दिन, पर ध्यान से लेने होंगे फैसले

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 03 December 2025: आज इन 3 राशि के जातकों को मिलेंगे शुभ समाचार, खुलेंगे भाग्य के द्वार