Gudi Padwa 2020: गुड़ी पड़वा कल, जानें हिन्दू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि से क्या है संबंध

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 24, 2020 16:45 IST2020-03-24T16:25:56+5:302020-03-24T16:45:52+5:30

Gudi Padwa 2020: हिन्दू नववर्ष की शुरुआत चैत्र मास की शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से होती है. इस दिन सदियों से गुड़ी पड़वा मनाने का रिवाज चला रहा है.

Gudi Padwa 2020: History, Importance & Significance of Gudi Padwa date timing puja vidhi and significance of hoisting flag | Gudi Padwa 2020: गुड़ी पड़वा कल, जानें हिन्दू नववर्ष और चैत्र नवरात्रि से क्या है संबंध

इस बार गुड़ी पड़वा पर्व 25 मार्च को मनाया जाएगा.

Highlightsगुड़ी मतलब ध्वज, पताका या झंडा होता और पड़वा मतलब प्रतिपदा. प्रतिपदा मतलब पहली तारीख होती है.महाराष्ट्र में जहां गुड़ी पड़वा मनाया जाता हैं वहीं कर्नाटक में इस पर्व को युगाड़ी के नाम से मनाया जाता है.

गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का प्रमुख त्योहार है। इस पर्व को चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानि पहले दिन मनाने का रिवाज है। मराठी त्योहार गुड़ी पड़वा (Gudi Padwa) हिन्दू नववर्ष के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। हिन्दू नववर्ष जिसे नवसंवत्सर भी कहते हैं, कल यानि 25 मार्च से शुरू हो रहा है। बता दें कि कल गुड़ी पड़वा, हिन्दू नववर्ष के साथ ही चैत्र नवरात्रि भी शुरू हो रही है।

महाराष्ट्र के अलावा इन राज्यों में मनाया जाता है गुड़ी पड़वा

गोवा और केरल में कोंकणी समुदाय इसे संवत्सर पड़वो नाम से मनाता है। कर्नाटक में यह पर्व युगाड़ी नाम से जाना जाता है। आन्ध्र प्रदेश और तेलंगाना में गुड़ी पड़वा को उगाड़ी नाम से मनाते हैं। कश्मीरी हिन्दू इस दिन को नवरेह के तौर पर मनाते हैं। मणिपुर में यह दिन सजिबु नोंगमा पानबा या मेइतेई चेइराओबा कहलाता है।

गुड़ी पड़वा का शुभ मुहूर्त

इस बार गुड़ी पड़वा बुधवार (25 मार्च) को पड़ रहा है। इस पर्व को मनाने के लिए कोई शुभ मुहूर्त नहीं है। सारे दिन गुड़ी पड़वा का उत्सव मनाया जा सकता है।

गुड़ी पड़वा मनाने को लेकर धार्मिक मान्यताएं
 
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना की थी। इसे सतयुग का आरंभ भी माना जाता है। एक मान्यता के अनुसार 14 साल के वनवास के बाद भगवान राम जब अयोध्या लौटे तो इसके उपलक्ष्य में गुड़ी यानि पताका फहराया जाता है।

गुड़ी पड़वा को लेकर ऐतिहासिक मान्यताएं

कहा जाता है जब राजा शालिवाहन ने शकों को हराया और पैठण वापस आए तो लोगों ने पताका लहराया। गुड़ी यानि पताका को जीत का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा महाराष्ट्र में लोग छत्रपति शिवाजी की विजय के उपलक्ष्य में भी गुड़ी फहराते हैं।

क्या होता है गुड़ी पड़वा के दिन

महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटक में गुड़ी पड़वा प्रमुख त्योहार है। गुड़ी पड़वा के मौके पर घर के बाहर एक बांस या लकड़ी पर जरी को कोरी साड़ी लपेटकर उसके ऊपर तांबे का लोटा रखा रखा जाता है। आम तौर पर यह साड़ी केसरिया रंग का और रेशम का होता है। फिर गुड़ी को गाठी, नीम की पत्तियों, आम की डंठल और लाल फूलों से सजाया जाता है। गुड़ी को किसी ऊंचे स्थान जैसे कि घर की छत पर लगाया जाता है, ताकि उसे दूर से भी देखा जा सके। कई लोग इसे घर के मुख्य दरवाजे या खिड़कियों पर भी लगाते हैं।

गुड़ी पड़वा के अनुष्ठान कब करें 

-नववर्ष फाल श्रवण (नव वर्ष की कुंडली सुनकर)
-तेल अभ्यंग (तेल स्नान)
-निम्बा पत्र प्रशान (नीम की पत्तियां खाकर)
-ध्वाजारोपन (ध्वजारोहण)
-नवरात्रम्भ (चैत्र नवरात्रि की शुरुआत)
-घटस्थापना (नवरात्रि पूजा के लिए कलश / पवित्र शूल की स्थापना)

English summary :
Gudi Padwa is the main festival of Maharashtra. It is a custom to celebrate this festival on the first day of Shukla Paksha of Chaitra month. The Marathi festival Gudi Padwa is celebrated to commemorate the Hindu New Year. Hindu New Year, also known as Nav Samvatsar


Web Title: Gudi Padwa 2020: History, Importance & Significance of Gudi Padwa date timing puja vidhi and significance of hoisting flag

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