गणगौर पूजा 2018: इस विधि और शुभ मुहूर्त में करें पूजा, करें ये विशेष उपाय भी

By गुलनीत कौर | Published: March 20, 2018 07:39 AM2018-03-20T07:39:19+5:302018-03-20T09:03:24+5:30

गणगौर में 16 दिनों तक व्रत किया जाता है और आखिरी दिन पर पूर्ण विधि-विधान से पूजा की जाती है।

Gangaur puja 2018 : date time, tithi, muhurat, vidhi, importance and how to celebrate | गणगौर पूजा 2018: इस विधि और शुभ मुहूर्त में करें पूजा, करें ये विशेष उपाय भी

गणगौर पूजा 2018: इस विधि और शुभ मुहूर्त में करें पूजा, करें ये विशेष उपाय भी

हिन्दू धर्म में किसी विशेष इच्छा की पूर्ति के लिए कई तरह के व्रत-उपवास किए जाते हैं। इनमें से एक है सोलह सोमवार का व्रत जिसे कुंवारी कन्याएं अच्छा व्रत पाने के लिए और विवाहित स्त्रियां वैवाहिक जीवन में खुशहाली लाने के लिए करती हैं। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। ठीक इसी तरह का व्रत होता है 'गणगौर का व्रत'। गणगौर चैत्र शुक्ल की तृतीया को मनाया जाता है। इस वर्ष यह त्योहार 2 मार्च से प्रारंभ होकर 20 मार्च को इसकी समाप्ति होगी। इस वर्ष गणगौर की पूजा का शुभ समय 20 मार्च को सूर्य उदय से लेकर शाम 4 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। इससे पहले पूजा एवं गणगौर विसर्जन किया जाना चाहिए। गणगौर का त्योहार राजस्थान में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा यह त्योहार गुजरात, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में भी मनाया जाता है। 

क्यों मनाया जाता है गणगौर?

एक पौराणिक कथा के अनुसार चैत्र शुक्ल की तृतीया को भगवान शिव ने माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें 'सदा सौभाग्यवती' होने का वरदान दिया था। इसके बाद माता पार्वती ने भी पूरे स्त्री समाज को 'अखंड सौभाग्यवती' होने का आशीर्वाद दिया था। इसी पौराणिक कथा को आधार मानते हुए गणगौर की उत्सव मनाया जाता है।

गणगौर पूजा विधि

गणगौर का उत्सव पूरे 16 दिनों के लिए मनाया जाता है, इसके पहले दिन से ही कुंवारी कन्याएं और विवाहित स्त्रियां सोलह श्रृंगार करके विधिवत पूजा करती हैं। प्रति वर्ष होलिका दहन से ठीक अगले दिन से गणगौर पूजा प्रारम्भ की जाती है। पहले दिन एक चौकी लगाकर, उस पर स्वस्तिक बनाया जाता है। पानी से भरा एक कलश चौकी की दाहिनी ओर रखा जाता है। इसके बाद होलिका दहन की राख या काली मिटटी के प्रयोग से छोटी-छोटी पिंडी बनाकर उसे चौकी पर रखा जाता है। 

पहले सात दिनों तक इसी तरह से पूजा की जाती है और साथ ही घर की सभी विवाहित और अविवाहित स्त्रियां गणगौर के गीत गाती हैं। 8वें दिन कुम्हार से मिटटी लाकर गणगौर भगवान बनाए जाते हैं। इनकी 16वें दिन तक विधि विधान से पूजा की जाती है और आखिरी दिन पर बहते जल में प्रवाहित कर दिया जाता है।

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क्यों करें गणगौर व्रत

कुंवारी स्त्रियां यदि योग्य वर चाहती हैं या फिर विवाहित स्त्री के शादीशुदा जीवन में कठिनाइयां चल रही हैं तो गणगौर व्रत करने से शिव-पार्वती के आशीर्वाद से सभी समस्याओं को अंत हो जाता है। गणगौर व्रत करने वाली स्त्री इस व्रत के सभी नियमों का पालन करे, जैसे कि:
- गणगौर व्रत में केवल एक समय ही भोजन करें। भोजन करने का यह समय बांध लें, इसे बार-बार बदलें ना
- प्रतिदिन अपने हाथों से बनाकर शिव-गौरी को प्रसाद का भोग लगाएं। ध्यान रहे कि यह प्रसाद कव्वाल घर की कुंवारी कन्याओं या अन्य सुहागिन स्त्रियों को ही दें। यह व्रत केवल महिलाओं के लिए होता है, इसलिए इसका प्रसाद पुरुषों में नहीं बांटा जाना चाहिए
- व्रती मां गौरी को सुहाग की सभी वस्तुएं जैसे कि कांच की लाल चूड़ियां, सिन्दूर, साड़ी, बिंदी, काजल, शीशा, टीका, मेहंदी, आदि अर्पित करें
- सुहाग की इस सभी सामग्री पर चन्दन, अक्षत, धूप, आदि करके ही अर्पित करें
- मां गौरी को लगाने वाले सिन्दूर से महिलाएं अपनी मांग भरें। यह बेहद शुभ माना जाता है

Web Title: Gangaur puja 2018 : date time, tithi, muhurat, vidhi, importance and how to celebrate

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