Dussehra 2025: क्यों दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना माना जाता है शुभ? जानिए क्या है मान्यता

By अंजली चौहान | Updated: October 2, 2025 05:19 IST2025-10-02T05:19:44+5:302025-10-02T05:19:44+5:30

Dussehra 2025: दशहरा उत्सव केवल एक अंत का ही नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत का भी प्रतीक है

Dussehra 2025 Why is seeing Neelkanth bird on Dussehra considered auspicious Learn about belief | Dussehra 2025: क्यों दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना माना जाता है शुभ? जानिए क्या है मान्यता

Dussehra 2025: क्यों दशहरा के दिन नीलकंठ पक्षी को देखना माना जाता है शुभ? जानिए क्या है मान्यता

Dussehra 2025: दशहरा भारत में मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। जो बुराई पर अच्छाई, अंधकार पर प्रकाश और अन्याय पर सत्य की विजय का प्रतीक है। हालाँकि यह त्योहार रावण के पुतलों के दहन और भगवान राम की विजय गाथा के वाचन के लिए सबसे प्रसिद्ध है, फिर भी इसके पालन में कई सूक्ष्म प्रथाओं को शामिल किया गया है। उनमें से एक यह प्रथा है कि दशहरे पर नीलकंठ पक्षी (जिसे भारतीय रोलर के रूप में जाना जाता है) के दर्शन करने से सौभाग्य और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

यह प्रथा भारत के विभिन्न क्षेत्रों में सदियों से चली आ रही है और पौराणिक कथाओं और सांस्कृतिक प्रतीकों में इसकी गहरी जड़ें हैं। इस वर्ष, दशहरा 2 अक्टूबर, 2025 को मनाया जाएगा।

दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना हिंदू धर्म में अत्यंत शुभ और सौभाग्यशाली माना जाता है।

1. भगवान शिव का प्रतीक

पौराणिक संबंध: नीलकंठ नाम भगवान शिव के नाम से जुड़ा है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन के दौरान हलाहल विष निकला, तो भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए उस विष को पी लिया। विष के प्रभाव से उनका कंठ (गला) नीला हो गया, और वे 'नीलकंठ' कहलाए।

महत्व: यह माना जाता है कि नीलकंठ पक्षी भगवान शिव का प्रतिनिधि या स्वरूप है, जो पृथ्वी पर विचरण करता है। दशहरे के दिन उनके दर्शन करना साक्षात् शिव के दर्शन जैसा माना जाता है, जिससे उनकी कृपा प्राप्त होती है और संकटों का अंत होता है। 

2- भगवान राम की विजय से जुड़ाव 

विजय का संकेत: एक प्रचलित मान्यता के अनुसार, भगवान राम ने जब लंकापति रावण का वध करने के लिए युद्ध से पहले नीलकंठ पक्षी के दर्शन किए थे, तो उन्हें विजय प्राप्त हुई। इसीलिए नीलकंठ के दर्शन को सफलता, सौभाग्य और विजय का प्रतीक माना जाता है।

ब्रह्महत्या के दोष से मुक्ति: रावण वध के बाद भगवान राम पर ब्रह्महत्या (रावण एक ब्राह्मण था) का दोष लगा था। इस दोष से मुक्ति पाने के लिए उन्होंने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। कथाओं के अनुसार, भगवान शिव ने प्रसन्न होकर नीलकंठ पक्षी के रूप में राम को दर्शन दिए, जिससे उन्हें दोष से मुक्ति मिली।

3- शुभता और समृद्धि का सूचक 

लोक-मान्यता: लोक-मान्यताओं में नीलकंठ पक्षी को देखना आने वाले पूरे साल के लिए सौभाग्य, सुख, शांति और समृद्धि का सूचक माना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति दशहरे के दिन किसी महत्वपूर्ण कार्य के लिए घर से निकले और उसे नीलकंठ पक्षी के दर्शन हो जाएं, तो उस कार्य में सफलता निश्चित होती है।

4. शुभ संदेशवाहक

एक लोकोक्ति नीलकंठ पक्षी के महत्व को दर्शाती है: "नीलकंठ तुम नीले रहियो, दूध-भात का भोजन करियो, हमरी बात राम से कहियो।"

यह लोकोक्ति दर्शाती है कि नीलकंठ पक्षी को शुभ संदेशवाहक माना जाता है, जो भक्तों की प्रार्थना और इच्छाओं को भगवान राम (और शिव) तक पहुँचाता है, जिससे उनकी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

दशहरे के दिन नीलकंठ पक्षी का दर्शन करना केवल धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह बुराई पर अच्छाई की जीत और जीवन में नई शुरुआत व सफलता के प्रति सकारात्मकता और विश्वास को बढ़ाने का भी एक तरीका है।

Web Title: Dussehra 2025 Why is seeing Neelkanth bird on Dussehra considered auspicious Learn about belief

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