सूर्य देव के 12 स्वरूपों के बारे में जानते हैं आप? जानें इनके नाम और काम

By गुणातीत ओझा | Updated: July 12, 2020 09:51 IST2020-07-12T09:51:06+5:302020-07-12T09:51:06+5:30

भगवान सूर्य जिन्हें आदित्य के नाम से भी जाना जाता है, के 12 स्वरूप माने जाते है, जिनके द्वारा ये उपरोक्त तीनो काम सम्पूर्ण करते है। आइये आपको बताते हैं सूर्य देवता के 12 स्वरूप के नाम और उनके कामों के बारे में..

do you know about 12 Form of Surya Dev | सूर्य देव के 12 स्वरूपों के बारे में जानते हैं आप? जानें इनके नाम और काम

जानें सूर्य देव के 12 स्वरूपों के नाम।

Highlightsशास्त्रों के अनुसार सूर्य देव को सभी देवताओं में प्रथम स्थान दिया गया है।सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है। समस्त चराचर जगत की आत्मा सूर्य ही है।

शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव को सभी देवताओं में प्रथम स्थान दिया गया है। सूर्य को वेदों में जगत की आत्मा कहा गया है। समस्त चराचर जगत की आत्मा सूर्य ही है। सूर्य से ही इस पृथ्वी पर जीवन है, यह आज एक सर्वमान्य सत्य है। वैदिक काल में आर्य सूर्य को ही सारे जगत का कर्ता धर्ता मानते थे। सूर्य का शब्दार्थ है सर्व प्रेरक। यह सर्व प्रकाशक, सर्व प्रवर्तक होने से सर्व कल्याणकारी है। ऋग्वेद के देवताओं कें सूर्य का महत्वपूर्ण स्थान है। यजुर्वेद ने "चक्षो सूर्यो जायत" कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है। सूर्य देवता के 12 स्वरूप हैं। आइये आपको बताते हैं उनके सभी स्वरूपों के बारे में...

इन्द्र (Indra)
भगवान सूर्य (आदित्य) के प्रथम स्वरुप का नाम इंद्र है। यह देवाधिपति इन्द्र को दर्शाता है। इनकी शक्ति असीम हैं। दैत्य और दानव रूप दुष्ट शक्तियों का नाश और देवों की रक्षा का भार इन्हीं पर है।

धाता (Dhata)
भगवान सूर्य (आदित्य) के दूसरे स्वरुप का नाम धाता है। जिन्हें श्री विग्रह के रूप में जाना जाता है। यह प्रजापति के रूप में जाने जाते हैं जन समुदाय की सृष्टि में इन्हीं का योगदान है, सामाजिक नियमों का पालन ध्यान इनका कर्तव्य रहता है। इन्हें सृष्टि कर्ता भी कहा जाता है।

पर्जन्य (Parjanya)
भगवान सूर्य (आदित्य) के तीसरे स्वरुप का नाम पर्जन्य है। यह मेघों में निवास करते हैं। इनका मेघों पर नियंत्रण हैं। वर्षा करना इनका काम है।

त्वष्टा (Twashtha)
भगवान सूर्य (आदित्य) के चौथे स्वरुप का नाम त्वष्टा है। इनका निवास स्थान वनस्पति में हैं पेड़ पोधों में यही व्याप्त हैं औषधियों में निवास करने वाले हैं। अपने तेज से प्रकृति की वनस्पति में तेज व्याप्त है जिसके द्वारा जीवन को आधार प्राप्त होता है।

पूषा (Pusha)
भगवान सूर्य (आदित्य) के पांचवे स्वरुप का नाम पूषा है। जिनका निवास अन्न में होता है। समस्त प्रकार के धान्यों में यह विराजमान हैं। इन्हीं के द्वारा अन्न में पौष्टिकता एवं उर्जा आती है। अनाज में जो भी स्वाद और रस मौजूद होता है वह इन्हीं के तेज से आता है।

अर्यमा (Aryama)
भगवान सूर्य (आदित्य) के छठवे स्वरुप का नाम अर्यमा है। यह वायु रूप में प्राणशक्ति का संचार करते हैं। चराचर जगत की जीवन शक्ति हैं। प्रकृति की आत्मा रूप में निवास करते हैं।

भग (Bhag)
भगवान सूर्य (आदित्य) के सातवें स्वरुप का नाम भग है। प्राणियों की देह में अंग रूप में विध्यमान हैं यह भग देव शरीर में चेतना, उर्जा शक्ति, काम शक्ति तथा जीवंतता की अभिव्यक्ति करते हैं।

विवस्वान (Vivswana)
भगवान सूर्य (आदित्य) के आठवें स्वरुप का नाम विवस्वान है। यह अग्नि देव हैं। कृषि और फलों का पाचन, प्राणियों द्वारा खाए गए भोजन का पाचन इसी अगिन द्वारा होता है।

विष्णु (Vishnu)
भगवान सूर्य (आदित्य) के नववें स्वरुप का नाम विष्णु है। यह संसार के समस्त कष्टों से मुक्ति कराने वाले हैं।

अंशुमान (Anshumaan)
भगवान सूर्य (आदित्य) के दसवें स्वरुप का नाम अंशुमान है। वायु रूप में जो प्राण तत्व बनकर देह में विराजमान है वहीं दसवें आदित्य अंशुमान हैं। इन्हीं से जीवन सजग और तेज पूर्ण रहता है।

वरूण (Varuna)
भगवान सूर्य (आदित्य) के ग्यारहवें स्वरुप का नाम वरूण है। वरूण देवजल तत्व का प्रतीक हैं। यह समस्त प्रकृत्ति में के जीवन का आधार हैं। जल के अभाव में जीवन की कल्पना भी नहीं कि जा सकती है।

मित्र (Mitra)
भगवान सूर्य (आदित्य) के बारहवें स्वरुप का नाम मित्र है। विश्व के कल्याण हेतु तपस्या करने वाले, ब्रह्माण का कल्याण करने की क्षमता रखने वाले मित्र देवता हैं।

Web Title: do you know about 12 Form of Surya Dev

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