Diwali 2025: भारत की इन जगहों पर अपनों संग मनाएं दिवाली, यादगार रहेगा त्योहार
By अंजली चौहान | Updated: October 4, 2025 05:20 IST2025-10-04T05:20:21+5:302025-10-04T05:20:21+5:30
Diwali 2025: पूरे देश में दिवाली धूमधाम से मनाई जाती है

Diwali 2025: भारत की इन जगहों पर अपनों संग मनाएं दिवाली, यादगार रहेगा त्योहार
Diwali 2025: दिवाली 2025 में भारत में घूमने के लिए कई ऐसी जगहें हैं जहाँ त्योहार का रंग, परंपरा और उत्साह अपने चरम पर होता है। यह सिर्फ रोशनी का त्योहार नहीं, बल्कि कई जगहों पर विशेष स्थानीय परंपराओं और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। इस साल 20 अक्तूबर को दिवाली मनाई जाएगी।
दिवाली पर घूमने के लिए बेस्ट जगह
1- वाराणसी (उत्तर प्रदेश) - देव दीपावली का भव्य दृश्य
वाराणसी (काशी) में दिवाली का मुख्य आकर्षण दिवाली के लगभग 15 दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला देव दीपावली का पर्व होता है, लेकिन दिवाली के आस-पास का माहौल भी अद्भुत होता है। दिवाली के बाद यहाँ के 80 से अधिक घाटों को एक साथ लाखों दीयों (मिट्टी के तेल के दीपक) से सजाया जाता है। ऐसा लगता है मानो आसमान के तारे गंगा के तट पर उतर आए हों। गंगा आरती का भव्य स्वरूप, दीयों की रोशनी में जगमगाते घाट और घाटों पर होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम। यह दृश्य आत्मा को शांति देने वाला और अत्यंत आध्यात्मिक होता है।
2- जयपुर (राजस्थान) - बाज़ारों की शाही सजावट
राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे गुलाबी शहर कहा जाता है, दिवाली के दौरान अपनी शाही और पारंपरिक सजावट के लिए प्रसिद्ध है।
जयपुर में बाज़ार की सजावट के लिए एक अनूठी परंपरा है। चौड़े बाज़ार (जैसे जौहरी बाजार) को भव्य पारंपरिक रोशनी से सजाया जाता है और शहर के विभिन्न हिस्सों के बीच सर्वश्रेष्ठ रोशनी के लिए प्रतियोगिता आयोजित की जाती है।
आप रात में इन जगमगाते शाही बाज़ारों में खरीदारी कर सकते हैं। दीये और पारंपरिक राजस्थानी कलाकृतियों से सजे बाज़ार में घूमना किसी राजसी उत्सव का हिस्सा होने जैसा लगता है। यहाँ की स्थानीय मिठाइयाँ और पकवान भी खास होते हैं।
3- अमृतसर (पंजाब) - बंदी छोड़ दिवस की शाही रोशनी
अमृतसर में दिवाली को सिख धर्म के महत्वपूर्ण त्योहार बंदी छोड़ दिवस के रूप में मनाया जाता है।
इस दिन स्वर्ण मंदिर (हरमंदिर साहिब) की लाइटिंग देखने लायक होती है। पूरे मंदिर को रंगीन रोशनी से सजाया जाता है, और पानी में उसका प्रतिबिंब स्वर्गीय लगता है। मंदिर के चारों ओर दीपमाला (लाखों दीये) जलाई जाती है।
रात में शानदार आतिशबाजी होती है जो स्वर्ण मंदिर के ऊपर से आसमान को जगमगा देती है। इस दिन यहाँ लंगर में सेवा करना और मंदिर की भव्यता को देखना एक अनूठा अनुभव देता है।
4- कोलकाता (पश्चिम बंगाल) - काली पूजा का शक्ति पर्व
पूर्वी भारत में, दिवाली का त्योहार मुख्य रूप से काली पूजा के साथ मनाया जाता है, जो देवी शक्ति का प्रतीक है।
जिस दिन देश के बाकी हिस्सों में लक्ष्मी पूजा होती है, उसी दिन कोलकाता में माँ काली की पूजा की जाती है। जगह-जगह भव्य पंडाल सजाए जाते हैं, जो दुर्गा पूजा की तरह ही विशाल और रचनात्मक होते हैं।
रात भर चलने वाली पूजा, मंत्रोच्चार और माँ काली की विशाल मूर्तियों के दर्शन करना। यहाँ दिवाली के दौरान एक शक्तिशाली और ऊर्जावान आध्यात्मिक माहौल होता है, जो उत्तरी भारत की शांतिपूर्ण लक्ष्मी पूजा से अलग होता है।
5- गोवा - नरकासुर दहन की रोमांचक परंपरा
गोवा में दिवाली मुख्य रूप से नरक चतुर्दशी (दिवाली से एक दिन पहले) के त्योहार के रूप में मनाई जाती है।
इस दिन भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर के वध का जश्न मनाया जाता है। गोवा के हर गाँव और शहर में स्थानीय लोग नरकासुर के विशाल पुतले बनाते हैं और उन्हें आधी रात को जलाते हैं।
यह एक रंगीन और रोमांचक जुलूस होता है, जिसके बाद पुतलों का दहन किया जाता है। अगले दिन, गोवा में लक्ष्मी पूजा होती है, लेकिन नरकासुर दहन यहाँ का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम होता है।