आदि शक्ति देवी दुर्गा के पवित्र दिनों नवरात्रि का आज सांतवा दिन है। ये दिन मां के कालरात्रि रूप को समर्पित है। इस दिन उपासक मां कालरात्रि का व्रत और पूजन करवाता है। इन्हें माता पार्वती का ही रूप माना गया है।
कालरात्रि देवी के नाम का मतलब है- काल यानी मृत्यु और और रात्रि का मतलब है कि रात अर्थात् अंधेर को खत्म करने वाली देवी। हम कह सकते हैं कि इस देवी की पूजा करने से हमेशा जीवन प्रकाशमय हो जाता है। आइए आपको बताते हैं मां कालरात्रि के स्वरूप और उनकी पूजा विधि-
कैसा है मां कालरात्रि का स्वरूप
माता कालरात्रि गधे की सवारी करती हैं। इस देवी की चार भुजाएं, जिसकी दोनों दाहिने हाथ में अभय और वर मुद्रा में है, जबकि बाएं दोनों हाथ में क्रमश तलवार और अडग है।
ऐसे करें मां कालरात्रि की पूजा
1. सुबह स्नानादि करके व्रत का संकल्प लें। 2. लाल रंग के आसन पर विराजमान होकर देवी की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठ जाएं। 3. हाथ में स्फटिक की माला लें।
मान्यता है कि कालरात्रि माता को गहरा नीला रंग बेहद ही पसंद है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
मंत्र
ॐ देवी कालरात्र्यै नमः॥
प्रार्थना मंत्र
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कालरात्रि रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
चढ़ाएं इस रंग का फूल
मां कालरात्रि को गुड़ बेहद प्रिय है तो मां को गुड़ का भोग अर्पित करें। मां को भोग लगाने के बाद इस गुड़ के प्रसाद को सबके बीच वितरित करें। मां कालरात्रि की पूजा में खास तौर पर चमेली के फूलों का इस्तेमाल करने का विशेष महत्व बताया गया है।