Kanya Pujan 2022: महाष्टमी-नवमी के दिन इस शुभ मुहूर्त में करें कन्या पूजन, जानें विधि और सामग्री
By रुस्तम राणा | Updated: April 8, 2022 19:12 IST2022-04-08T14:17:28+5:302022-04-08T19:12:44+5:30
महाष्टमी 9 अप्रैल को है और इस दिन विधि-विधान के साथ कन्या पूजन का विधान होता है, जबकि कई लोग नवमी के दिन कन्या पूजते हैं।

Kanya Pujan 2022: महाष्टमी-नवमी के दिन इस शुभ मुहूर्त में करें कन्या पूजन, जानें विधि और सामग्री
Chaitra Navratri 2022: चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ जिस प्रकार से कलश स्थापना के साथ होता है तो वहीं इसका समापन कन्या पूजन से किया जाता है। कन्या पूजन कोई महाष्टमी के दिन करता है तो कोई नवमी के दिन नौ कन्याओं को पूजता है। ये नौ कन्याएं मां दुर्गा के नौ रूपों का प्रतीक होती हैं। महाष्टमी या नवमी के दिन मां की उपासना करने के बाद लोग देवी स्वरूप छोटी कन्याओं को भोजन कराते हैं। उन्हें दान-दक्षिणा के रूप में धन, अनाज और उपहार भेंट किया जाता है। वैसे शास्त्रों के अनुसार अष्टमी का दिन कन्याओं के पूजन के लिए सबसे शुभ बताया जाता है। कन्या पूजन से हर तरह के विघ्न और वास्तु दोष का नाश होता है।
अष्टमी नवमी के दिन कन्या पूजन
अष्टमी का आरंभ - 8 अप्रैल, रात्रि 11 बजकर 05 मिनट से।
अष्टमी का समापन - 9 अप्रैल, रात 01 बजकर 23 मिनट तक।
कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त - 9 अप्रैल, 11 बजकर 58 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक।
नवमी तिथि आरंभ - 10 अप्रैल, रात 01 बजकर 23 मिनट से शुरू।
नवमी तिथि समापन - 11 अप्रैल, दोपहर 03 बजकर 15 मिनट तक।
नवमी के दिन सुबह के समय कन्या पूजन कर सकते हैं।
कन्या पूजन से पहले करें ये सामग्री एकत्र
1. स्वच्छ जल (जिससे कन्याओं का पैर धुलाना है।)
2. साफ कपड़ा (जिससे कन्याओं का पैर पोंछना है।)
3. रोली (कन्याओं के माथे पर टीका लगाने के लिए)
4. कलावा (हाथ में बांधने के लिए)
5. चावल (अक्षत)
6. फूल (आरती के बाद कन्याओं पर चढ़ाने के लिए)
7. चुन्नी (कन्याओं को उढ़ाने के लिए)
8. फल (कन्याओं को देने के लिए)
9. मिठाई (कन्याओं के भोग के लिए)
10. भोजन सामग्री
कन्या पूजन की संपूर्ण विधि
1. अष्टमी या नवमी के दिन स्नानआदि करके भगवान गणेश और महागौरी की पूजा करें।
2. कन्या पूजन के लिए दो साल से 10 साल तक की कन्याओं को और एक बालक को आमंत्रित करें।
3. इसके बाद सभी कन्याओं का पैर खुद अपने हाथों से धुलें और उन्हें पोछें।
4. उनके माथे पर कुमकुम और अक्षत का टीका लगाएं।
5. इसके बाद कन्याओं के हाथ में मौली या कलावा बाधें।
6. एक थाली में घी का दीपक जलाएं और सभी कन्याओं की आरती उतारें।
7. आरती करने के बाद सभी कन्याओं को भोग लगाएं और खाने में पूड़ी, चना और हलवा जरूर खिलाएं।
8. भोजन के बात अपनी सामर्थ अनुसार उन्हें भेंट दें।
9. आखिरी में कन्याओं का पैर छूकर उनसे आशीर्वाद जरूर लें और उन्हें विदा करें।