Ahoi Ashtami Katha: इस व्रत कथा के बिना अधूरी है अहोई अष्टमी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

By मेघना वर्मा | Published: October 11, 2019 03:33 PM2019-10-11T15:33:04+5:302019-10-12T15:07:41+5:30

महिलाएं अपने राशि के अनुसार भी अहोई माता की अलग-अलग तरह से पूजा करते हैं। 21 अक्टूबर को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में होगा और अपनी ही कर्क राशि में गोचर कर रहे होंगे।

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Ahoi Ashtami Katha: इस व्रत कथा के बिना अधूरी है अहोई अष्टमी की पूजा, जानें शुभ मुहूर्त

Highlightsइस साल अहोई अष्टमी का व्रत 21 अक्टूबर को पड़ रहा है।अहोई अष्टमी को कालाष्टमी भी कहते हैं।

हिन्दू धर्म में अहोई अष्टमी का पर्व बेहद खास माना जाता है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाए जाने वाले इस पर्व को महिलाएं अपने पुत्रों के लिए रखती हैं। अपनी संतान की सुख-समृद्धि के लिए वह दिन भर व्रत करके अहोई माता की पूजा करती हैं। रात में तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत तोड़ती है। इस साल अहोई अष्टमी का ये व्रत 21 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

अहोई के चित्रांकन में ज्यादातर आठ कोष्ठक की एक पुतली बनाई जाती है। जिसके पास साही और उसके बच्चों की आकृतियां भी बनाई जाती है। होई को गेरु से बनाकर दीवार पर टांग दिया जाता है या किसी मोटे वस्त्र पर होई काढकर पूजा के समय उसे दीवार पर टांग देते हैं। इसके बाद अहोई माता का व्रत और पूजा करते हैं। 

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महिलाएं अपने राशि के अनुसार भी अहोई माता की अलग-अलग तरह से पूजा करते हैं। चूंकी 21 अक्टूबर को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में होगा और अपनी ही कर्क राशि में गोचर कर रहे होंगे इसलिए इसका अलग-अलग राशि पर अलग-अलग असर पड़ेगा। आइए जानते हैं क्या है अहोई माता की व्रत कथा।

ये है अहोई माता की कथा

प्राचीन काल में एक साहुकार था। उसके घर में उसकी 7 बहुएं रहती थी। दिवाली के दिन उसकी एकलौती लड़की भी अपने मायके आई हुई थी। एक दिन सभी बहुएं दिवाली पर घर को मिट्टी से लीपने के लिए मिट्टी लेने जंगल गई। उनके साथ उनकी ननंद भी गई थी। साहुकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी वहां एक साही का लड़का खेल रहा था। साहू की बेटी से गलती से खुरपी के चोट से साही के बेटे की मौत हो गई। साही इतनी क्रोधित हुई कि उसने साहूकार की बेटी की कोख बांधने की बात कही। 

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वचन सुनकर साहुकार की बेटी सभी भाइयों से अपने बदले कोख बंधवाने के लिए प्रार्थना की। उसकी सबसे छोटी भाभी इस बात के लिए राजी हो गई। अब उसके जब भी कोई बच्चा होता तो 7 दिन बाद मर जाता था। ऐसे ही उसके 7 पुत्रों की मौत हो गई। इसके बाद उसने पंडित की सलाह ली तो पंडित ने कहा कि सुरही गाय की सेवा करने से ही लाभ मिलेगा। 

सुरही उस महिला की सेवा से खुश हुई और उसे स्याहु के पास लेकर गई। रास्ते में जब दोनों थक गए तो पानी पीने रुके। इतनें में साहुकार की छोटी बहू की नजर एक गरूड पंखनी पर पड़ी जिसे सांप डंसने जा रहा था। वह फौरन वहां पहुंची और सांप को मार दिया। जब गरूड पंखनी की मां वहां पहुंची तो वर साहुकार की बेटी पर ही चोंच मारने लगी। जब बहू ने बताया कि उसके बच्चे की जान उसी ने बचाई है तो वह खुश हो गई। अपने पंख पर बिठाकर उन्हें स्याहु तक पहुंचा दिया। 

स्याहु ने छोटी बहु की ये सेवा देखी और प्रसन्न हो गई। प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहु होने का अशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहु का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो गया।
 

English summary :
The festival of Ahoi Ashtami is considered very special in Hinduism. This festival, which is celebrated on the Ashtami of Kartik Krishna Paksha, This year, Ahoi Ashtami fast will be celebrated on 21 October.


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