Aadi Perukku 2023: कब है आदि पेरुक्कू? जानें इस तमिल त्योहार का महत्व और मनाने की विधि
By अंजली चौहान | Updated: August 2, 2023 19:04 IST2023-08-02T19:02:08+5:302023-08-02T19:04:39+5:30
आदि पेरुक्कु जो तमिल महीने के अठारहवें दिन पड़ता है, मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है जब नदियों और झीलों में जल स्तर में वृद्धि देखी जाती है, जिससे कृषि और घरेलू काम में आसानी होती है।

फोटो क्रेडिट- ट्विटर
Aadi Perukku 2023: भारत विविधाओं का देश है जहां हर राज्य की अपनी संस्कृति है जिसमें अलग-अलग त्योहार मनाए जाते हैं। पूरे देश में दीवाली और होली तो सभी मनाते हैं लेकिन कुछ ऐसे त्योहार भी है जो सिर्फ कुछ राज्य के लोगों द्वारा मनाया जाता है।
ऐसा ही एक हिंदू त्योहार है आदि पेरुक्कू जिसे तमिल हिंदू मनाते हैं। तमिल कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार आदि माह के 18वें दिन मनाया जाता है। आदि पेरुक्कू को पथिनेट्टम पेरुक्कू के नाम से भी जाना जाता है।
यह त्योहार मानसून के प्रति आभार प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। इस समय लोग उत्सव मनाते हैं और यह मानसून मौसम खुशी का समय होता है। इस महीने को अत्यधिक शुभ माना जाता है और दुनिया भर में तमिल भाषी लोग इसे मनाते हैं।
आदि पेरुक्कू की तिथि कब?
तमिल कैलेंडर के अनुसार, आदि पेरुक्कू गुरुवार 3 अगस्त 2023 को मनाया जाएगा।
आदि पेरुक्कू का महत्व
आदी पेरुक्कू पानी के जीवनदायी गुणों का सम्मान करने के लिए मनाया जाता है। इसे समस्त मानव जाति के लिए उपहार माना जाता है। आदि का महीना तमिलनाडु में मानसून के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है।
मानसून के समय नदियों में जल स्तर बढ़ जाता है इसलिए, यह महीना बुआई, बीज रोपण और वनस्पति के लिए फायदेमंद है। तमिलनाडु के लोग मानसून के देवता, प्रकृति माँ और कावेरी नदी के प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं। इस शुभ दिन पर अम्मान देवताओं के रूप में प्रकृति माँ की पूजा की जाती है।
तमिलनाडु राज्य में सभी झीलों की पूजा की जाती है और तमिलनाडु के लोग इस दिन को एक शुभ त्योहार के रूप में मनाते हैं। इस दिन को पथिनेट्टम पेरुक्कु के रूप में भी मनाया जाता है, पदिनेट्टम या पथिनेट्टम का अर्थ है अठारह और पेरुक्कु का अर्थ है उदय। जल अनुष्ठान सभी तमिल महिलाओं द्वारा किया जाता है।
कैसे मनाया जाता है आदि पेरुक्कू?
आदि पेरुक्कू के शुभ त्योहार पर, परिवार के सभी सदस्य, दोस्त और रिश्तेदार इकट्ठा होते हैं और मानसून में अच्छी फसल के लिए प्रार्थना करते हैं। सभी महिलाएं चित्रनम सहित विशेष भोजन और विभिन्न प्रकार के चावल तैयार करती हैं और इसे दोस्तों, रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के बीच वितरित करती हैं।
वे नदी और झीलों के पास जाते हैं और चावल के आटे और गुड़ से बना एक विशेष दीपक जलाते हैं और इसे आम के पत्तों पर रखते हैं। दीपक के पास फूल, हल्दी और पीला धागा चढ़ाएं।
इन दीपकों को नदी में प्रवाहित करते हैं। जल की निर्बाध आपूर्ति के लिए मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। कई लोग अपने दामाद को आमंत्रित करते हैं और उसे भोजन, कपड़े और पैसे या उपहार देते हैं।
आदि पेरुक्कू दिवस के दौरान, नवविवाहित जोड़े अपने घर जाते हैं और पूरा महीना अपने माता-पिता के साथ बिताते हैं। इस तरह तमिलनाडु के लोग इस दिन को बड़े उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं।
(डिस्क्लेमर: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने डॉक्टर से परामर्श लें। लोकमत हिंदी इस जानकारी के लिए जिम्मेदारी का दावा नहीं करता है।)