इस बार का वैलेंटाइन डे होगा सबसे अलग, सड़कों पर दिख सकते हैं 'ऐसे कपल्स', तो क्या तैयार हैं आप?
By गुलनीत कौर | Published: February 6, 2019 11:27 AM2019-02-06T11:27:39+5:302019-02-06T11:27:39+5:30
बीते इतने सालों में वैलेंटाइन वीक के दिन और इवेंट कभी नहीं बदले। यह हमेशा की तरह रोज डे (Rose Day) से शुरू होता है और वैलेंटाइन डे पर जाकर प्यार के इस सप्ताह का समापन होता है। तो फिर इस साल का वैलेंटाइन डे अलग कैसे हो सकता है? ऐसा क्या हुआ है खास?
हर साल वैलेंटाइन वीक 7 फरवरी से शुरू होता है और 14 को वैलेंटाइन डे के साथ ख़त्म होता है। 7 से 14 तक इसके दिन भी तय होते हैं। बीते इतने सालों में वैलेंटाइन वीक के दिन और इवेंट कभी नहीं बदले। यह हमेशा की तरह रोज डे (Rose Day) से शुरू होता है और वैलेंटाइन डे पर जाकर प्यार के इस सप्ताह का समापन होता है। तो फिर इस साल का वैलेंटाइन डे अलग कैसे हो सकता है? ऐसा क्या हुआ है खास?
इसका जवाब आपको लिखित में नहीं, बल्कि 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे के दिन देखने को ही मिल जाएगा। जब सड़कों, पार्क, रेस्टोरेंट में लड़का-लड़की कपल्स की जगह आपको लड़के-लड़के या फिर लड़की-लड़की कपल्स के रूप में दिखाई देंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि बीते समय में सुप्रीम कोर्ट की ओर से धारा 377 हटा दी गई, जिसके बाद से LGBT कपल्स को कानूनी और सामाजिक रूप से भी तवज्जो मिली है।
क्या है धारा 377 हटाने का फैसला?
कुछ समय पहले जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने समलैंगिकों को अपराध बताने वाली धारा 377 को हटाने का फसला सुनाया था। सालों से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे एलजीबीटी समुदाय के लिए यह फैसला एक ऑक्सीजन सरीखा था। फैसले के मुताबिक आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अपराध नहीं माना जाएगा।
इस संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, एएम खानविल्कर, डीवाई चंद्रचूड़ और इंदु मल्होत्रा शामिल थी। इनके द्वारा सुनाए गए फैसले में स्पष्ट रूप से यह कहा गया कि ''जो भी जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए''। सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले के बाद सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक इंद्रधनुषी रंग बिखर गए थे। समलैंगिक समुदायों ने अपनी 17 साल की लंबी लड़ाई की जीत पर जमकर जश्न मनाया था।
वैलेंटाइन डे 2019 होगा अलग
अब धारा 377 हटाने के बाद LGBT कम्युनिटी का वैलेंटाइन डे पर सड़कों पर उतरना संभावित है। हो सकता है कि इस कम्युनिटी से नाता रख रहे कपल्स वैलेंटाइन डे मनाते हुए नजर आएंगे। चूंकि अब कानूनी रूप से इन्हें डरने की जरूरत नहीं है तो ये खुलेआम बाकी कपल्स की तरह अपना प्यार का दिन मना सकते हैं। मुमकिन है कि कम्युनिटी की जीत के बाद आए इस पहले वैलेंटाइन डे पर सड़कों पर LGBT की प्यार को दर्शाती परेड भी देखें को मिले।
यह भी पढ़ें: इस वैलेंटाइन डे इन तीन राशि वालों पर होगी प्यार की बारिश, नहीं रहेंगे 'सिंगल'
पिंक ट्राएंगल के मायने
गुलाबी त्रिकोण का इस्तेमाल 1930 और 40 दशक में जर्मनी के नाजियों ने बैज ऑफ शेम के तौर पर शुरू किया था। ये उन कैदियों को दिया जाता था जिनकी पहचान होमोसेक्सुअल पुरुषों के रूप में की जाती थी। 1970 में इसे बाइसेक्सुअल पुरुषों और ट्रांसजेंडर महिलाओं के लिए अपनाया गया। इसका इस्तेमाल समलैंगिक अधिकारों और आंदोलनों के प्रचलित प्रतीक के रूप में किया जाने लगा।
इंद्रधनुषी झंडे के मायने
समलैंगिकों का ये झंडा सबसे पहले सेन फ्रांसिस्को के कलाकार गिल्बर्ट बेकर ने एक स्थानीय कार्यकर्ता के कहने पर समलैंगिक समाज को एक पहचान देने के लिए बनाया था। इसे फ्लैग ऑफ द रेस से प्रभावित होकर बनाया गया था। शुरुआत में इस झंडे में आठ रंग होते थे। जिसमें- गुलाबी रंग सेक्स को, लाल रंग जीवन को, नारंगी रंग चिकित्सा को, पीला रंग सूर्य को, हरा रंग शांति को, फिरोजा रंग कला को, नीला रंग सामंजस्य को और बैंगनी रंग आत्मा को दर्शाता था। फिलहाल इस झंडे में 6 रंग ही हैं। इससे गुलाबी और फिरोजा रंग को हटा दिया गया। इसे समलैंगिकों के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।