जब इन्होनें ऑफिस की बात घर पर बताकर मुसीबत मोल ले ली, जानें फिर क्या हुआ

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 8, 2018 09:47 AM2018-09-08T09:47:00+5:302018-09-08T09:47:00+5:30

आप ऑफिस की बातें जहां भी करने बैठ जाएं जरूरी तो नहीं कि वहां लोग आपकी बातों में इंट्रेस्ट लें। इस बात को ध्यान में रखते हुए ऑफिस की बातों से दूसरों को बोर करने से बचें।

Things to remember for working women to lead a successful career, how to make a balance between office and home | जब इन्होनें ऑफिस की बात घर पर बताकर मुसीबत मोल ले ली, जानें फिर क्या हुआ

जब इन्होनें ऑफिस की बात घर पर बताकर मुसीबत मोल ले ली, जानें फिर क्या हुआ

खूबसूरत मिसेज गोविल को जब एक प्रतिष्ठित प्राइवेट कंपनी में जॉब मिल गया तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा। वे अपनी खुशी पड़ोसनों और सहेलियों से बांटना चाहतीं, वे विश्वास रखती थीं कि खुशियां बांटने से दुगुनी हो जाती है।

बस संडे को जब उनके यहां किट्टी पार्टी हुई तो ऑफिस की मौजमस्ती के बारे में बातें करते हुए वे कुछ ज्यादा ही बोल गई। यही कि ऑफिस का सारा पुरुष स्टाफ उनका दीवाना है और बॉस तो पूरी तरह ही उन पर लट्ट हो गए हैं। बात का बतंगड़ बनते देर नहीं लगी। नतीजन उनके अच्छे भले वैवाहिक जीवन में कड़वाहट घुलने लगी। बात इतनी बढ़ गई कि पति ने यहां तक कह दिया कि उसे पति या नौकरी अब दोनों में से एक को ही चुनना होगा।

इसी तरह महिमा को भी ऑफिस की बातें लेकर डींगे मारना बहुत महंगा पड़ा। वह इसी बात को लेकर सखी-सहेलियों में शान दिखाती थी कि अब उसे बाहर खाने-पीने में पैसा नहीं खर्चना पड़ता। ऑफिस का कोई न कोई क्लीग उसके खाने-पीने का पेमेंट कर ही देता है। बात उसके मंगेतर तक पहुंची तो उसने महिमा को कंपलसिव फ्लर्ट समझकर रिश्ता तोड़ दिया।

कभी-कभी कोई कामकाजी स्त्री ऑफिस संबंधी कार्य को लेकर अपनी प्रॉब्लम्स को गहरा मुद्दा बनाकर पति को परेशान करती हैं जो ठीक नहीं है क्योंकि पति की अपनी भी प्रॉब्लम्स हो सकती है। आपकी शिकायतें, घर में अशांति पैदा कर सकती हैं। अच्छा होगा आप अपनी समस्याओं से खुद ही डील करना सीखें।

ऑफिस में अपने को ओपन बुक भी न बनाएं। डिप्लौमेसी से चलते हुए सहकर्मियों से उचित दूरी मेंटेन करके रखें। उनके सामने अपनी घरेलू प्रॉब्लम्स का रोना न रोयें। न ही परिवार के किसी सदस्य, रिश्तेदार आदि की बुराई करें। बातों का टॉपिक जनरल रहे यही उचित होगा। बातों के टॉपिक्स की क्या कमी? आप पॉलिटिक्स में रुचि रखती हैं तो इस विषय पर बोल सकती हैं, म्युटिक आर्ट लिटरेचर इतना वेस्ट सबजेक्ट है कि इस पर ताजिन्दगी बातें की जा सकती हैं।

ऑफिस के किसी भी पुरुष सहकर्मी की तारीफों के पुल पति के आगे न बांधें आप। इसे लेकर पति में शक उपजा सकती हैं। उन्हें ईष्र्यालु बना सकती हैं जिसका खामियाजा सिर्फ आप ही को भुगतना पड़ सकता है।

अपनी सोच वेलेंस्ड रखें। मजबूत और साफ रखें। बाहर नौकरी करने निकली हैं तो जरूरी है कि आपकी सोच विस्तृत हो क्योंकि यहां आपको तरह-तरह के लोगों से डील करना पड़ता है। संकुचित सोच के चलते आप हर किसी पर बेवजह शक करने लगेंगी। जो न आपके हक में अच्छा होगा न दूसरे के। अब रीमा को ही लें। प्रिया और संकल्प में महज अच्छी दोस्ती  थी, उससे ज्यादा कुछ नहीं। संकल्प संगीता के साथ डेटिंग कर रहा था और उससे शादी करने का इरादा भी रखता था लेकिन रीमा ने प्रिया और संकल्प के बीच अफेयर चलने की अफवाह सारे ऑफिस में फैला दी थी। यह बात संगीता को भी पता चली और अकारण ही संकल्प  और उसके बीच में मिसअंडरस्टैंडिंग क्रिएट हो गई।

ऑफिस की बातें ऑफिस के आगे बिल्कुल न आएं।  आप इसी रूल को फॉलो करने की कोशिश करें। ऑफिस आप काम करने जाती हैं, जीवन जीने नहीं। जीना कुछ और है। जीना है क्वालिटी टाइम बिताना। क्वालिटी टाइम में ऑफिस की ऊबाऊ बातें नहीं आतीं।

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आप ऑफिस में मौजमस्ती करती हैं। पतिदेव को भी यह बात अच्छी नहीं लगेगी औरों की तो बात ही छोड़ें। आप ऑफिस में परेशान तनावग्रस्त रहती हैं, पति को यह भी अच्छा नहीं लगेगा क्योंकि आफ्टरऑल वे आपके वैलविशर हैं। ऐसी सूरत में क्या यह अच्छा नहीं होगा कि आप ऑफिस की बातें घर बाहर से दूर ही रखें।

- उषा जैन ‘शीरी’

Web Title: Things to remember for working women to lead a successful career, how to make a balance between office and home

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